जयपुर । शक्ति
महिला संगठन द्वारा मंगलवार को जयपुर के होटल पार्क प्राइम में बंगाली
परंपरा 'सिंदूर खेला' की रस्म उत्साह और उमंग के साथ निभाई गई। महिलाओं ने
पहले मां दुर्गा को सिंदूर अर्पित किया, फिर एक दूसरे को सिंदूर लगाकर
'सिंदूर खेला' की रस्म निभाई।आयोजन में यह विशेष रहा कि इस रस्म में ना
केवल विवाहित महिलाएं बल्कि अविवाहित महिलाओं ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
इस कार्यक्रम के माध्यम से महिलाओं ने आपसी प्रेम व सौहार्द का संदेश
दिया। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
कार्यक्रम की शुरुआत में संगठन की सदस्य सुष्मिता दास ने
'सिंदूर खेला' की परंपरा और इसके महत्व के बारे में विस्तार से बताया।
जिसके बाद विधिवत पूजा का आयोजन किया गया। महिलाओं ने एक-एक कर मां दुर्गा
की मूर्ति के मस्तक और पैरों में सिंदूर अर्पित किया। बाद में महिलाओं ने
एक-दूसरे को सिंदूर लगाया और मिठाई खिलाई। इस दौरान महिलाओं ने नृत्य भी
प्रस्तुत किया।
शक्ति महिला संगठन की संस्थापक, सोनाक्षी वशिष्ठ ने
बताया कि 'सिंदूर खेला' का यह आयोजन संगठन द्वारा लगातार चौथे वर्ष किया
गया है। यह स्थानीय लोगों के लिए नई संस्कृतियों के बारे में जानने और उसको
सेलिब्रेट करने की एक पहल है। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम में विभिन्न
क्षेत्रों में कार्य कर रहीं हमारे संगठन की सदस्य शामिल हुईं हैं। सभी
महिलाएं फिर चाहे वे विवाहित हो या अविवाहित, ने साथ मिलकर खुशी और उत्साह
के साथ 'सिंदूर खेला' की रस्म निभाई। उत्सव में जोधपुर और अजमेर जैसे
विभिन्न शहरों से भी महिलाओं ने भाग लिया। इस अवसर पर शक्ति महिला संगठन की
सदस्य अनुपमा अग्रवाल, दीपा रामचंदानी, शैलजा शर्मा, स्नेह वालिया, संजीता
वर्मा, शम्मी गोयल, दृष्टि रॉय और नेहा खुंटेटा सहित अन्य सदस्य उपस्थित
थीं।
गौरतलब है कि दुर्गा पूजा के आखिरी दिन बंगाली समुदाय द्वारा
सिंदूर खेला की रस्म निभाई जाती है। बंगाली पंरपरा के अनुसार ऐसा माना जाता
है कि देवी दुर्गा अपने चार बच्चों के साथ दुर्गा पूजा उत्सव मनाने के लिए
धरती पर आती हैं। त्योहार के अंतिम दिन उदासी का माहौल छा जाता है, जब
देवी दुर्गा को विदा किया जाता है। ऐसा मानना है कि देवी दुर्गा के आंसू
बहे थे इसलिए उनके गालों को पान के पत्तों से पोंछा जाता है। इसके बाद उनकी
मांग में और पारंपरिक चूड़ियों पर सिंदूर अर्पित करते हैं। फिर महिलाएं
सुखी जीवन और परिवार की खुशहाली के लिए दुर्गा मां के चरण स्पर्श कर
आशीर्वाद लेती हैं। इसके बाद सभी महिलाएं एक-दूसरे को सिंदूर लगाकर मिठाई
खिलाती हैं।
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