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क्या राजस्थान मंत्रिमंडल के विस्तार में एक व्यक्ति एक पद के सिद्धांत और छत्तीसगढ़ मोडल के आधार पर संसदीय सचिव बनेंगे ?

Will the expansion of Rajasthan cabinet become parliamentary secretary on the basis of one person one post principle and Chhattisgarh model - Jaipur News in Hindi


-गोपेंद्र नाथ भट्ट-


जयपुर । राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट की कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाक़ात के बाद राजनीतिक हलकों में नित नई चर्चाएँ और कई सारे सवाल तैरने लगे है कि क्या राहुल गांधी के विदेश यात्रा से लोटने तक राजस्थान मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं होगा?
साथ ही क्या एक व्यक्ति एक पद के सिद्धांत पर गहलोत केबिनेट के मंत्रियों डॉ रघु शर्मा, गोविन्द सिंह डोटासरा,हरीश चौधरी आदि को हटाया जायेगा और छत्तीसगढ़ के बघेल मोडल के आधार पर प्रदेश में कई संसदीय सचिव बनेंगे?

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार मंत्रिपरिषद में विधानसभा अध्यक्ष डॉ सी पी जोशी सहित अन्य कई अप्रत्याशित नाम भी शामिल हों सकते है। साथ ही पार्टी से बगावत करने पर मंत्री पद गवाने वाले पूर्व मंत्रियों सचिन पायलट, विश्वेंद्र सिंह और रमेश मीणा का पुनर्विस्थापन भी होगा ?

सबसे पेचीदा सवाल सचिन पायलट की भावी भूमिका के बारे में है । इस सम्बन्ध में कांग्रेस हाई कमान क्या फ़ैंसला करेगा ? इस पर सभी की निगाहें हैं।

बताते है कि अब राहुल गांधी के विदेश से लौटने के बाद मंत्रिमंडल में फेरबदल और राजनीतिक नियुक्तियों पर अंतिम मोहर लगेगी। वे इंडोनेशिया के दौरे पर हैं। पार्टी सूत्रों के अनुसार वे विदेश दौरे से अगले सप्ताह दिल्ली लौटेंगे।इसके बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत एक बार फिर से दिल्ली आ सकते हैं और उनकी सोनिया गाँधी से हुई मुलाक़ात के क्रम में राहुल गाँधी, प्रियंका गांधी, प्रदेश प्रभारी अजय माकन, पार्टी के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री केसी वेणुगोपाल आदि के साथ मंत्रिमंडल विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर अन्तिम रुप बैठक हो सकती है। इस बैठक के बाद हाई कमान की हरी झंडी मिलते ही प्रदेश में मंत्रिपरिषद का विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियों का बहु प्रतीक्षित कार्य पूरा किया जायेगा, जोकि लगता है गहलोत सरकार के कार्यकाल की सत्रह दिसम्बर को आने वाली तीसरी वर्षगाँठ के आसपास होने की सम्भावना हैं।विगत 16 अक्टूबर को दिल्ली में कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक के बाद राहुल गांधी के आवास पर प्रदेश के मसलों को लेकर बैठक हुई थी लेकिन उस बैठक में खुद राहुल गांधी शामिल नहीं हुए थे।बाद में मुख्यमंत्री गहलोत ने स्वयं इस बात की पुष्टि की थी।

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि भले ही कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी वर्तमान में पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष हैं लेकिन पार्टी में अधिकांश फैसले राहुल गांधी के साथ विचार विमर्श करने के बाद ही लिए जाते हैं। जैसा पिछलें दिनों पंजाब में लिए गए थे। ऐसे में कांग्रेस गलियारों में यह चर्चा है कि जब तक राहुल गांधी से चर्चा नहीं होती तब तक प्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियां का रास्ता नहीं खुलेगा।
गहलोत कैबिनेट में 15 नए चेहरों की संभावना! सीपी जोशी बन सकते हैं गृह मंत्री!

कांग्रेस आलाकमान के हस्तक्षेप के कारण मंत्रिमंडल विस्तार के मुद्दे पर आगे बढ़ने के साथ ही हर बीतते दिन के साथ एक नया विकास हो रहा है।कहा जा रहा था कि राज्य मंत्री परिषद में वर्तमान में नौ स्थान रिक्त है और गहलोत सरकार के तीन मन्त्रियों को हाई कमान द्वारा अन्य प्रभार देने से विस्तार में क़रीब एक दर्जन नए मंत्री शामिल किए जाने का अनुमान लगाया जा रहा था लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि अब तीन और मंत्रियों को संगठन में समायोजित किया जा सकता है। इस कारण संभावना है कि विस्तार के समय 15 नए मंत्री शपथ ले सकते हैं। रिपोर्ट के अनुसार सीपी जोशी गृह मंत्री बन सकते हैं।यदि सी पी जोशी भी मंत्रीमंडल में शामिल होते है तों पूर्व मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह अथवा राजेंद्र पारीक को विधानसभा अध्यक्ष बनाया जा सकता हैं। साथ ही किसी वरिष्ठ विधायक को विधानसभा उपाध्यक्ष
बना कर उपकृत किया जा सकता है।

बीएसपी से आए और कांग्रेस को समर्थन दे रहें निर्दलीय विधायकों को मंत्री बनाने का हल निकालने करने के लिए 'बघेल मोड' अपनाया जा सकता है। इस फॉर्मूले के तहत काफ़ी विधायकों को संसदीय सचिव बनाया जा सकता है और उन्हें सीएम और कैबिनेट मंत्रियों से जोड़कर मंत्री का दर्जा प्रदान किया जाएगा। छत्तीसगढ़ मॉडल के तहत,उन्हें विभिन्न आयोगों और बोर्डों का अध्यक्ष भी बनाया जा सकता हैं। मकसद साफ है कि सरकार बिना किसी 'रुकावट' के पूरे पांच साल चले।


नई दिल्ली में उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार सोनिया गांधी ने सचिन पायलट को 2023 में कांग्रेस को वापस लाने के लिए गहलोत के साथ 'एक टीम के रूप में काम करने' के लिए कहा था। असल में राज्य विधानसभा के चुनाव में अभी दो साल से भी कम समय बचा है और हाई कमान की मंशा है कि प्रदेश में एक बार भाजपा और एक बार की कांग्रेस का सरकार बनने का चलन बदलना चाहिए और राज्य में 2023 में फिर से कांग्रेस की सरकार बना कर इस परिपाटी को बदलना ही मुख्य मक़सद होना चाहिए ।

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Web Title-Will the expansion of Rajasthan cabinet become parliamentary secretary on the basis of one person one post principle and Chhattisgarh model
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