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द्रव्यवती नदी की जमीन पर अतिक्रमण करने वालों पर कार्रवाई क्यों नहीं कर रही सरकार : विवेक कालिया

Why is the government not taking action against those who encroach on the land of Dravyavati river: Vivek Kalia - Jaipur News in Hindi

जयपुर। महारानी फार्म दुर्गापुरा से मानसरोवर को जोड़ने वाली पुलिया को सिर्फ 2 मीटर तक ऊंचा उठाए जाने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। मानसरोवर और महारानी फार्म के लोगों की मांग है कि यहां रिद्धि-सिद्धि चौराहे और बी टू बाइपास जैसे ही बड़े पुल बनाए जाने चाहिए।

भाजपा प्रदेश कार्य समिति के सदस्य रहे पूर्व पार्षद विवेक कालिया ने क्षेत्रीय विधायक और मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा से मांग की है कि द्रव्यवती नदी की जमीन पर अतिक्रमण करके बड़े शोरूम, होटल आदि बनाने वालों पर प्रभावी कार्रवाई करके नदी की जमीन को मुक्त कराया जाना चाहिए। ताकि यहां बड़े पुल का निर्माण करके यातायात को सुगम बनाया जा सके। क्योंकि भविष्य में यहां यातायात का दबाव कम होने के बजाय ज्यादा बढ़ेगा।
कालिया ने बताया कि जहां तक इस नदी के दोनों पाटों का सवाल है, वहां द्रव्यवती नदी की नहर बनने से पहले नाले की जमीन हुआ करती थी, जिसको जेडीए द्वारा पिलर्स लगाकर बाकायदा नाले की जमीन घोषित किया गया था। महारानी फार्म पर ख्वास जी का बड़ा बंधा था, जिसकी पाल आज भी मौजूद है।
सन 1981 कि बाढ़ में यह बंधा टूट गया था, जिसके कारण इस अमानी शाह के नाले में अत्यधिक पानी के बहाव से सांगानेर में आई बाढ़ से बहुत नुकसान हुआ था और जान-माल की बहुत हानि हुई थी। इसलिए यहां बड़ी पुलिया ही बननी चाहिये थी। क्योंकि द्रव्यवती नदी का रूप यहां छोटा किया गया और नाले की शेष दोनों तरफ बची जमीन में अभी हाल के वर्षों में अतिक्रमण हुआ और किनारे वाली सरकारी जमीन पर होटल रेस्टोरेंट और कई शोरूम खुल गए। सिर्फ उन अतिक्रमियों को बचाने के लिए कम ऊंचाई की पुलिया बना रहे हैं, जबकि मोहन नगर-त्रिवेणी सड़क की बड़ी पुलिया जब बनी तब लंबे समय तक ट्रैफिक बंद करने की नोबत नहीं आई।
कालिया ने बताया कि इस पुलिया के किनारे वाली जमीन का रिकॉर्ड सरकार, जेडीए और नगर निगम द्वारा हाईकोर्ट में भी प्रस्तुत किया हुआ है और यहां नाले की किनारे की हजारों वर्गमीटर भूमि सरकारी घोषित की गई हुई है। इसकी जांच होनी चाहिए और अतिक्रमियों से हजारों वर्गमीटर जमीन मुक्त करवाकर ही बड़ी पुलिया के निर्माण होना चाहिये।
सरकार की प्रस्तावित रिपोर्ट में भी पूर्व स्वायत्त शासन सचिव जी एस संधू के समय भी यहां पुलिया बनाने की प्रोजेक्ट रिपोर्ट पास की गई थी। क्योंकि तब वे 1999 से 2004 तक स्थानीय जनप्रतिनिधि रहे हैं। उनकी यह मांग है कि पहले नदी (नाले) की जमीन को अतिक्रमण से मुक्त करवाया जाय, उसके बाद पुरानी प्रस्तावित पुलिया के ही निर्माण होना चाहिए ताकि भविष्य में कभी अतिवृष्टि से मानसरोवर और महारानी फार्म की सुरक्षा रह सके।
कालिया ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि आप स्वयं अंदाजा लगा सकते हैं कि इस बार की बरसात में जब पुलिया से दो मीटर तक ऊपर से पानी बहा तो अब अगर प्रस्तावित पुलिया सिर्फ दो मीटर ही उठाई जाएगी तो यह बिल्कुल व्यर्थ और सरकारी खजाने को हानि पहुंचाने का प्रयास है। केवल अतिक्रमियों की भूमि बचाने के लिए मानसरोवर-सांगानेर के रहवासी नागरिकों पर अत्याचार है। इसलिए मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा को यहां का स्थानीय जनप्रतिनिधि होने के नाते तथ्यों की जांच करवाकर और प्रोजेक्ट को अविलंब बंद करने के आदेश देने चाहिए।

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