2009 में भी बनी थी ऐसी ही स्थिति ये भी पढ़ें - यहां मुस्लिम है देवी मां का पुजारी, मां की अप्रसन्नता पर पानी हो जाता है लाल
विधानसभा चुनाव से ठीक 6
महीने पहले प्रदेश अध्यक्ष को लेकर जिस तरह से अमित शाह और वसुंधरा राजे के
बीच सियासी जंग शुरू हुई हैं वो 2009 की याद दिलाती हैं। तब बीजेपी
अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने राजे को विपक्ष की नेता के पद से इस्तीफ़ा देने को
कहा था, लेकिन तीन महीने तक वसुंधरा राजे ने इस्तीफ़ा नहीं दिया और तब
राजनाथ सिंह समेत पूरी पार्टी को नाकों चने चाबने पड़े थे। लेकिन इस बार
सीएम राजे की उनकी लड़ाई राजनाथ सिंह से बल्कि पीएम मोदी के सेनापति और
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से है। पिछली बार उन्हें पीछे से समर्थन देने
वालों में लालकृष्ण आडवाणी, सुषमा स्वराज, अरुण जेटली, वेंकैया नायडू जैसे
नेता थे. लेकिन इस बार उन्हें लड़ाई अकेले अपने दम पर लड़नी है।
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