जयपुर। शहर की सडक़ों पर आए दिन दुर्घटनाएं हो रही है। इन दुर्घटनाओं में असमय ही युवा काल के ग्रास बन रहे हैं। हाल ही में एक दुर्घटना का मंजर देखा, वो ओडी कार की रफ्तार के कहर से बाइक सवार छात्र की मौत का था। सडक़ पर कहीं खून बिखरा था, तो कही उसका कटा हुआ पैर और एक मकान की छत पर लहुलुहान हालत में शरीर। अपना भविष्य उज्ज्वल करने के लिए घर से निकाला, वो वापस अब कभी भी घर नहीं लौटेगा। आखिरकार कौन है इनकी मौत का जिम्मेदार?, किसने ली उसकी जान?, आखिर किसकी लापरवाही का था यह अंजाम? ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
ड्राइविंग लाइसेंस भी बड़ा कारण - सडक़ दुर्घटनाओं में वाहन चालकों की लापरवाही में सबसे अहम कारण ड्राइविंग लाईसेंस है। यह बात किसी से छिपी नहीं है कि लाईसेंस जारी करने वाला आरटीओ महकमा भारी भ्रष्टाचार से ग्रस्त है। विकसित देशों में ड्राइविंग लाइसेंस लेना डिग्री हासिल करने जैसा काम होता है। जबकि अपने यहां भ्रष्ट व्यवस्था में यह संभव है कि बुनियादी शर्तों को पूरा किए बिना भी लाइसेंस मिल जाए। बल्कि यह कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी कि तमाम नियमों को दरकिनार करते हुए हमारे यहां लोगों को आसानी से ड्राइविंग लाईसेंस मिल जाता है। जयपुर आरटीओ सूत्रों की माने तो दलाले के मार्फत दुपहिया वाहन का ड्राइविंग लाईसेंस 2 हजार रुपए और दो व चौपहिया वाहन का ड्राइविंग लाईंसेस बिना ट्राइल के 3 हजार 500 रुपए में लिया जा सकता है।
यातायात नियमों की अनदेखी वजह - सबसे अधिक सडक़ दुर्घटनाएं वाहन चालकों की लापरवाही और चूक और नियम-कायदों की अनदेखी की वजय से होती है। इस गलती के पीछे शराब का सेवन सबसे प्रमुख कारण है। 80 फीसदी सडक़ दुर्घटनाएं वाहन चालकों की लापरवाही से, 10 फीसदी तकनीकी खराबी और शेष 10 फीसदी खराब मौसम व खराब सडक़ें जिम्मेदार है। नाबालिक के गाड़ी चलाने पर वाहन मालिक को दोषी मानकर कार्रवाई हो। यातायात नियमों की अवहेलना पर लाइसेंस निलंबित कर कार्रवाई करने से भी सडक़ हादसों में निश्चित रूप से कमी आ सकती है। नियमों की अवेहलना को लेकर जिस जिम्मेदार विभाग की ओर से कार्रवाई नहीं की जा रही वह भी सडक़ हादसों को निमत्रंण करता है।
नहीं दुरूस्त होती तकनीकी खामी - सडक़ दुर्घटनाओं की प्रमुख वजहों में एक यह भी है कि तकनीकी खराबी के बावजूद वाहन का इस्तेमाल होता रहता है। वाहन की तकनीकी या यांत्रिक रूप से खराब होने पर निर्माता कंपनी और टायर की खराबी की वजह से कोई हादसा होने पर संबंधित कंपनियों जिम्मेदार होती है। खराब सडक़ों की वजह से होने हादसों को लेकर अभी तक कोई भी जिम्मेदारी लेने से बचता नजर आता है।
बीमा और मुआवजा - मोटर वाहनों का बीमा होने पर कई लोग उसका दुरूप्रयोग करते है। वाहन के इंश्योरेंस होने को लेकर ड्राईविंग में लापरवाही बरतते है। इसका मुख्य कारण सडक़ दुर्घटना होने पर मोटर वाहन इंश्योरेंस के रुपयों से दुबारा दुरूस्त करवा लेना है। हालांकि मोटर वाहन संशोधन अधिनियम का एक प्रावधान तीसरे पक्ष के बीमा के बारे में भी है, जिसमें मुआवजे की राशि बढ़ाई गई है ताकि हादसा होने पर प्रभावित पक्ष को राहत पहुंचाई जा सके। लापरवाही से वाहन चलाने वाले चालकों के विरूद्ध भी यातायात पुलिस व आरटीओ को कठोर कदम उठाना चाहिए। नियमों का उल्लंघन करने पर दोषी को कठोर दंड मिलने से लोगों मेें जागरूकता फैलेगी और सडक़ हादसों में कमी आ सकेगी।
हमे खोलनी होगी अपनी आंखे - जो अपना काम ठीक से नही कर रहे हैं। जो चंद पैसो के लिए इतनी लापरवाही बरत रहे हैं। जिससे किसी की भी जान जा सकती है। बस! अब हमें ही जागरुक होना होगा, उन बंद हुई आँखों की वजह से हमे अपनी आँखें खोलनी होगी। अब हर लापरवाही पर हमें अपनी आवाज उठानी होगी, क्योंकि कुछ लोगों की लापरवाही की वजह से हम किसी अपने को खो नहीं सकते। जब तक चीजें सही ना हो जाए, तब तक उस पर नजऱ रखो और उसे सही करने का दबाव बनाए रखो।
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