इसके बाद तत्कालीन अधिशाषी अभियंता सार्वजनिक निर्माण विभाग की तरफ से थाना अशोक नगर जयपुर में तत्कालीन अधिशाषी अभियंता जिनको कालीन सुपुर्द किये गये थे, उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था। लेकिन मुख्यमंत्री कार्यालय की नाक के नीचे चोरी हुए आठ कालीनों का अभी तक पता नहीं चल सका है। वहीं आरटीडीसी को ना तो कालीन मिले और नहीं कालीनों की किराया राशि मिली है। यह अभी भी रहस्य बना हुआ है।वहीं इन रिसायतकालीन कालीनों की कीमत आज के बाजार भाव मूल्य में करोड़ों रुपये की आंकी गई है। लेकिन ना तो पूर्ववर्ती वसुंधरा सरकार ना ही गहलोत सरकार इस मामले का खुलासा कर सकी है। सिर्फ अभी जांच ही चल रही है।
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