सप्ताह के सात वारों को उनके क्रम के अनुसार पेश करते हुए कलाकारों ने
सर्वप्रथम ‘रवि‘ अर्थात सूर्य ग्रह की गंभीरता और वीरता को 14 मात्रा की
ताल ‘धमार‘ के साथ पेश किया गया। अगली प्रस्तुति में ‘सोम‘ अर्थात श्रृंगार
एवं शीतलता, वात्सल्य और मन के ग्रह ‘चन्द्र‘ को 10 मात्रा की ताल झपताल
के साथ तराना, सरगम, ख्याल का उपयोग करते हुए और वीर रस के ग्रह ‘मंगल‘ को
परणों का उपयोग कर प्रस्तुत किया गया। इसी प्रकार ‘बुध‘ ग्रह को लुभावने गत
निकास और अध्यात्म, बुद्धि और समृद्धि के ग्रह ‘गुरु‘ की कबीर के भजन
‘बंदे करले आप निबेरा‘ पर मनमोहक नृत्य प्रस्तुति देखने योग्य थी।
कार्यक्रम के अंत में सौन्दर्य एवं श्रृंगार के ग्रह ‘शुक्र‘ को चिंतामणी
कवि की ठुमरी और ‘शनि‘ ग्रह को कथक की तिहाइयों एवं टुकडों का उपयोग बेहद
खूबसूरती से प्रदर्शित किया गया।
कार्यक्रम में नृत्य करने वाले
कलाकारों में स्वयं प्रेरणा श्रीमाली के अतिरिक्त उनकी शिष्याएं वीना
वनमाली, आरती श्रीवास्तव गेडाम, निष्ठा बुधलाकोटी, सोनम चौहान एवं सोमी
विश्वास शामिल थे।
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