वसुंधरा राजे को लेकर राजनीतिक पंडित परेशान
क्या
पूर्व सीएम वसुंधरा राजे भाजपा का राजस्थान में सीएम फेस होगी, क्या राजे
केंद्र की राजनीति में जायेगी, क्या राजे चुनाव कैंपेन कमेटी की चेयरमैन
बनेगी । आजकल यह प्रश्न राजनीतिक पंडितों को परेशान कर रहे है । पत्रकार भी
अपने भाजपा के सूत्रों के हवाले से कोई ठोस जानकारी नहीं निकाल पा रहे है ।
वहीं राजे समर्थक भी चुपचाप दिल्ली आलाकमान की तरफ देख रहे है । अभी दो
प्रमुख कमेटियों में नाम नहीं आने से मैडम की न्यूज चैनलों और अखबारों में
हेडलाइन चल चुकी है , लेकिन अभी चुनाव प्रचार-प्रसार समिति की घोषणा बाकी
है । प्रदेश प्रभारी के बयान से यह चर्चा तो थम गई है कि राजे मैडम की
राजस्थान की राजनीति में कोई भूमिका नहीं रहेगी । जल्द ही कोई मुख्य भूमिका
होगी । लेकिन राजे समर्थक चुपचाप है, और अंदर ही अंदर से परेशान है । राजे
समर्थकों का पूरा राजनीतिक करियर दांव पर लगा हुआ है । लेकिन पीएम मोदी और
अमित शाह क्या फैसला लेंगे, इसका लेकर राजे समर्थक परेशान है । राजे
समर्थक इतना ही कह रहे है, जल्द ही कोई अच्छी खबर आयेगी । राजे
के बयानों से उनकी मुखरता और स्वाभिमान छलकता है। पिछले दिनों उन्होंने
अपने बयान में कहा था, जब नारी भगवान के आशीर्वाद लेकर मैदान में उतरती है
तो कई ऊंचे पहाड़ों को हिला देती है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
काम नहीं, होर्डिंग्स-पोस्टर और बैनर से दावेदारी
राजस्थान
विधानसभा चुनाव इस साल होने जा रहे है, तो जाहिर है कि कांग्रेस और भाजपा
में टिकटों के लिए नए-नए दावेदार सामने आ रहे है। ये जो नए-नए दावेदार है,
इनमें से अधिकत्तर सिर्फ होर्डिंग्स, पोस्टर और बैनरों के जरिये अपनी टिकट
की दावेदारी कर सकेंगे। लेकिन जो मौजूदा विधायक या दूसरे नंबर पर रहा
विधायक प्रत्याशी है, वह अभी चुप है। मौजूदा विधायक को लगता है कि टिकट
पक्का है, वहीं दूसरे नंबर पर रहे विधायक प्रत्याशी को भी लगता है कि इस
बार पार्टी एक बार और मौका देगी । लेकिन इनकी सीटों पर नए-नए दावेदारो की
नजर है । वह अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र में होर्डिंग्स पोस्टर और बैनरो के
जरिये स्थानीय जनता का अपनी तरफ ध्यान आकर्षित करने की कोशिश कर रहे है ।
कुछ दावेदार तो ऐसे है, जो बरसाती मेंढक की तरह सामने आए है, जिन्हें देखकर
स्थानीय जनता भी पूछ रही है कि आखिर यह साढ़े चार साल से कहां था, जो अब
शुभकामना संदेश वाले होर्डिंग्स, पोस्टर और बैनर लगा रहे है ।
अब सीएम के मित्र बनिए... नो मनी
सीएम
अशोक गहलोत ने अब अपना विज्ञापनों के अलावा नया सोशल मीडिया वाला मेगा
प्लान लांच किया है । इस प्लान के तहत मैं मुख्यमंत्री सेल से बोल रहा हूं,
इस तरह के फोन युवाओं के मोबाइल पर आ रहे है । फिर कॉल करने वाले खुद को
बताते है कि वह सीएम सेल से सीएम हाउस से बोल रहे है । फिर कहते है कि आपका
चयन सीएम सेल के सक्रिय कार्यकर्ता के रूप में हुआ है । फिर वार्ड संख्या
पूछकर जुड़ने को लेकर हां- या ना का सवाल पूछते है । अगर आप हां करते है, तो
वह आपने सीएम सेल के वाट्सअप ग्रुप में जोड़ने की बात कहते है । अब
मुख्यमंत्री कांग्रेसी कार्यकर्ताओं, कांग्रेस की सोशल मीडिया टीम के अलावा
खुद की सीएम सेल की सोशल मीडिया टीम बना रहे है । जिससे सीएम अशोक गहलोत
खुद की अलग से सोशल मीडिया ब्रांडिंग अपनी योजनाओं के जरिये कर सके । खास
खबरी को पता चला है कि पूरे प्रदेश में 20 लाख युवाओं को जोड़ने की पहल की
जा रही है । जिससे मुखिया जी अपनी सीएम सेल की अलग से टीम बना सके । बाकी
मंत्री और विधायक खुद ही जाने, वह क्या करेंगे । लेकिन मुखिया जी ने अब खुद
की अलग से सेल बना ली है ।
शासन सचिवालय में ईडी, मचा हड़ंकप
भ्रष्टाचार
के योजना भवन की जांच की आंच अब शासन सचिवालय तक पहुंच चुकी है । जैसे ही
ईडी की टीम विभागीय जांच का पत्र लेकर डीओआईटी सचिव के कार्यालय पहुंची,
मुखिया जी से लेकर सीएस और संबंधित ब्यूरोक्रेसी सतर्क हो गई । सभी को यह
डर सता रहा है कि चुनाव से पहले कोई बड़ी मछली को जाल बिछाकर कही ईडी धर
नहीं ले । क्योंकि ईडी, कोई सीबीआई तो नहीं है, जिस पर मुखिया अपना रौब चला
सके । लेकिन अब मुखिया जी के खास सिपहसलाहकार फूंक-फूंक के कदम रख रहे है ।
कांग्रेस के चुनावी फंड पर पहले ही आयकर विभाग समेत ईडी की नजर है । अब
कैसे फंडिंग हो, कैसे चुनावी फंड को ईडी और आयकर से बचाया जाए, इस पर मंथन
हो रहा है । लेकिन भ्रष्टाचार का योजना भवन, यह मुखिया जी के गले की हड्डी
बना हुआ है, दो करोड़ से अधिक की नकदी और सोने की सिल्ली गले की फांस बनी
हुई है । स्थानीय पुलिस ने तो मामला रफा-दफा कर ही दिया है, लेकिन ईडी की
एंट्री से मुखिया जी समेत सभी परेशान है ।
-खास खबरी
(नोटः इस कॉलम में हर सप्ताह खबरों के अंदर की खबर, शासन-प्रशासन की खास चर्चाएं प्रकाशित की जाती हैं)
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