महिलाओं के जज्बातों का राजनीतिकरणः ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
मणिपुर
में महिलाओं के साथ हुई घिनौनी हरकत का जिस तरह वीडियो सोशल मीडिया पर
वायरल हुआ, उससे पूरा देश शर्मसार हो गया। ऐसी घिनौनी हरकतें औऱ महिलाओं के
प्रति अपराध रोकने में नाकामी की जिम्मेदारी लेकर नैतिक आधार पर इस्तीफा
देने के बजाय महिलाओं के जज्बातों से खेलना शुरू कर दिया है। राजस्थान,
पश्चिम बंगाल समेत गैर भाजपा शासित प्रदेश में अपराधों के आंकड़े लेकर
भाजपा के तमाम लोग बयानबाजी कर रहे हैं। मानो वे इससे मणिपुर की जघन्य घटना
को दबाना चाहते हों। भाजपा के एक नेता ने तो राजस्थान के अलवर में 3 साल
पहले पति के सामने पत्नी से रेप और छेड़छाड़ की घटना के फुटेज सोशल मीडिया
में जारी करके मणिपुर की घटना को जायज ठहराने की कोशिश की। वहीं केंद्रीय
मंत्री राजस्थान के राज्यमंत्री गुढ़ा के बयान को लेकर मुख्यमंत्री अशोक
गहलोत पर हमलावर हैं। स्थानीय भाजपा नेता भी खुश नजर आ रहे हैं। जबकि
उन्हें महिलाओं के प्रति अपराधों को गंभीरता से लेकर उनके जज्बातों का
राजनीतिकरण करने से बचाना चाहिए।
पेनल्टी दे देंगे, आरटीआई में सूचना नहीं देंगेः
यूपीए
की डॉ. मनमोहन सिंह सरकार में बनाए गए सूचना का अधिकार अधिनियम (आरटीआई)
का श्रेय लेने में मुखिया जी यूं तो कोई मौका नहीं छोड़ते हैं। लेकिन,
उन्हीं के विभाग में इस अधिनियम की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं, इस पर उनका
ध्यान नहीं है। विभाग भी वो जो पारदर्शिता और अधिकतम सरकारी सूचनाओं के
प्रचार-प्रसार के लिए ही बना है। दरअसल, पिछले दिनों कुछ खबरनवीसों ने
आरटीआई में सरकार के विज्ञापन जारी करने वाली सोसाइटी संवाद को लेकर कुछ
सूचनाएं मांग लीं। इन आरटीआई का जवाब ही नहीं दिया गया। जाहिर सूचना चाहने
वाले अपील में गए तो सूचना नहीं देने के लिए आयोग ने जुर्माना तक लगा दिया।
विभाग की एक इंटरनल मीटिंग में विभागीय अफसरों ने सूचना उपलब्ध कराए जाने
को कहा तो तर्क दिया गया कि जुर्माना दे देंगे। लेकिन, सूचना नहीं देंगे।
क्योंकि अगर सूचना दे दी तो कई घपले उजागर हो सकते हैं। जन संपर्क
अधिकारियों की सुविधाओं में भी कटौती हो सकती है। अब बड़े अफसर संवाद को
आरटीआई के दायरे से बाहर करवाने का जुगाड़ बिठाने में लगे हैं।
राजेंद्र गुढ़ा का आइलमेंट ही क्यों बिगड़ा
सचिन पायलट के मंच से
सरेआम गहलोत सरकार को भ्रष्ट बताने वाले राज्यमंत्री राजेंद्र गुढ़ा आखिरकार
बर्खास्त हो ही गए । भले मुखिया जी ने बर्खास्तगी के सवाल पर कह दिया है
कि यह पार्टी का अंदरूनी मामला है । लेकिन इससे पहले आलकमान के आदेशों के
खिलाफ जाने वाले दो कैबिनेट मंत्रियों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं हुई है
। इस पर कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी समेत मुखिया जी चुप है । खास खबरी को
पता चला है कि कहानी गुढ़ा और कोटा वाले मंत्री के बीच है । गुढ़ा की कोई
कब्जे वाली जमीन का मामला जब यूडीएच मंत्री ने नहीं सुलझाया, तब से यह
अलाइमेंट बिगड़ने वाली कहानी शुरू हुई । इसलिए पूरी सरकार का भ्रष्ट बताने
वाले मंत्री पर अब जाकर गाज गिरी । अब आने वाले दिनों में बर्खास्त मंत्री
ने मुखिया जी को घेरने की चेतावनी दे दी है । पहले पायलट साहब अभी चुप है,
क्योंकि उनके मंच पर ही यह सब आए थे ।
रिपीट होगी, रिपीट हो सकती है, आप रिपीट कराओगे
राजस्थान
के मुखिया जी अपने महंगाई राहत कैंपों की सफलता से तकिया कलाम शब्द कह रहे
थे कांग्रेस सरकार रिपीट होगी । फिर पायलट साहब के मिलने के बाद यह शब्द
आया कि मिलकर चुनाव लड़ेंगे और सरकार रिपीट होगी । लेकिन इन दिनों शब्दों की
हेराफेरी हो रही है। जैसे-जैसे चुनाव का वक्त नजदीक आ रहा है और कांग्रेस
के जुड़े नेता एसीबी ट्रैप में फंस रहे है। या कांग्रेस नेता या मंत्री पर
भ्रष्टाचार का आरोप लग रहे है वैसे-वैसे शब्द भी बदल रहे है । अब मुखिया जी
ने कांग्रेस की बैठक में और एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि रिपीट हो सकती
है, आप रिपीट कराओगे । अब यह शब्द सुनकर लगा रहा है कि मुखिया जी के पास
सरकार विरोधी सर्वे रिपोर्ट पहुंच चुकी है । अंदरखाने कुछ भी हो, लेकिन
मुखिया जी अपनी योजनाओं को लेकर काफी आत्मविश्वासी है । उन्हें लग रहा है
कि यह योजनाएं पूरी देश की अलग अनूठी है । जो पूरे देश में लागू होनी चाहिए
। लेकिन पीएम मोदी जी की मार्केटिंग का तोड़ मुखिया जी के पास नहीं है , बस
यह मलाल है ।
यह कैसा सूचना का अधिकार, ब्लैकमेलर का लगेगा ठप्पा
सूचना
का अधिकार बन तो गया, सूचना आयुक्त भी कार्य कर रहे है, लेकिन जब सूचना
देने की बारी आती है । तो सरकारी अधिकारी कोई ना कोई नियमों की गली निकाल
कर सूचना देने से मना कर देता है । फिर अपील पर जाओ, जहां से इंसाफ की
उम्मीद लगी होती है, फिर अपील सुनने वाला पूछता है कि आपको सूचना क्यों
चाहिए । जब जवाब दिया जाता है कि क्या यह एक्ट में है कि सूचना लेने का
कारण बताया जाए, तो फिर यह सुनना पड़ता है कि लोग सूचना लेकर ब्लैकमेल करते
है । बीते दिनों ग्रेटर नगर निगम जयपुर की मेयर ने सरेआम यह कह ही दिया ।
नगर निगम से सूचना मांगने के सवाल पर मेयर साहिब , हर किसी शख्स से पूछ
लेती है आखिर क्यों चाहिए । फिर कह देती है कि लोग सूचना लेकर ब्लैकमेल
करते है । अब महोदया को कौन समझाएं, अगर कोई ब्लैकमेल करेगा, तो कानून के
हिसाब से कार्रवाई होगी । लेकिन इससे पहले कम से कम आप सूचना देने का कार्य
करें और अपना कर्त्तव्य निभाएं ।
-खास खबरी
(नोटः इस कॉलम में हर सप्ताह खबरों के अंदर की खबर, शासन-प्रशासन की खास चर्चाएं प्रकाशित की जाती हैं)
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