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जयपुर। ग्लोबल वार्मिंग की वजह से गर्मी के मौसम में भी सर्दी का अहसास हो रहा है। मार्च में बारिश और अंधड़ से मौसम में ठंडक पैदा हो गई है। वहीं इलेक्शन वार्मिंग ने कांग्रेस में सियासी हलचल पैदा कर दी है। दो दिनों में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने पांच जिला कांग्रेस कमेटियों का गठन कर दिया जो काम वे पिछले दो-ढाई साल में भी नहीं कर पाए थे। नए प्रदेश प्रभारी आने के बाद धड़ाधड़ ब्लॉक अध्यक्षों की नियुक्तियां की गई और अब जिला कांग्रेस कमेटियों का गठन किया गया है।
कांग्रेस में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के पावर सेंटर अपनी जगह काम कर रहे हैं और लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं। कांग्रेस विधायक दिव्या मदेरणा के तेवर दो दिन पहले विधानसभा में देखे गए हैं। इसके मायने यही है कि कांग्रेस में सबकुछ ठीक नहीं है। ऐसी स्थिति में जमीन पर काम करने वाले कार्यकर्ता अब भी असमंजस की स्थिति में है। वे यह तय नहीं कर पा रहे हैं कि उन्हें किसके साथ खड़ा होना है? वे अपने हिसाब से ही सियासी समीकरण बना रहे हैं। ऐसा नहीं है कि कार्यकर्ताओं में उत्साह नहीं है, चुनावों को लेकर उनमें जबरदस्त उत्साह का माहौल है।
प्रदेश की 200 विधानसभा सीटों पर मौजूद विधायकों समेत अन्य दावेदार और उनके समर्थक पूरी तरह से सक्रिय हैं। चुनाव लड़ने के लिए उन्होंने अपनी टीम भी अपने क्षेत्रों में तैयार कर ली है। निश्चित रूप से कांग्रेस कमेटियों के गठन ने उनका उत्साह और बढ़ाया है। लेकिन, राजस्थान में जातिगत राजनीति के चलते कमेटियों के गठन में उचित नेतृत्व नहीं मिलने के कारण लोगों ने नाराजगी जाहिर की है।
कांग्रेस कमेटियों के गठन में अब जल्दबाजी क्यों?
प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने पिछले दो दिनों में अलवर, राजसमंद, जैसलमेर, जोधपुर उत्तर और दक्षिण जिलों की कार्यकारिणी का गठन कर दिया है। अन्य जिलों में भी कांग्रेस कमेटियों के गठन की जल्दी ही घोषणा होने वाली है। राजनीतिक लोगों का मानना है कि कांग्रेस कमेटियों के गठन इतनी जल्दी इसलिए की जा रही है कि चुनाव सिर पर आ गए हैं, वहीं सचिन पायलट को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने की खबरें भी आ रही है। पायलट या कोई और प्रदेश अध्यक्ष बनता है तो हाल ही गठित कांग्रेस कमेटियों को बदलना मुश्किल होगा। ऐसे में अगर गोविंद डोटासरा को हटना भी पड़ा तो नीचे ग्राउंड लेवल पर अशोक गहलोत गुट के लोग ही रहेंगे। इससे उन्हें अपने प्रत्याशियों को जिताना आसान हो जाएगा।
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