जयपुर। राजस्थान में वसुंधरा सरकार कर्मचारियों को संरक्षण देने वाले विवादित बिल पर बैकफुट पर आ गई है।
राज्य विधानसभा ने मंगलवार को दण्ड प्रक्रिया संहिता (राजस्थान संशोधन) विधेयक,
2017 प्रवर समिति को निर्दिष्ट कर
दिया।
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गृह मंत्री
गुलाबचंद कटारिया ने दण्ड प्रक्रिया संहिता (राजस्थान संशोधन) विधेयक, 2017 को प्रवर समिति को
निर्दिष्ट करने का प्रस्ताव रखा, जिसे सदन ने ध्वनिमत से पारित कर दिया। इससे पहले गृहमंत्री ने बताया कि
अध्यादेश के लिए 4 सितम्बर को
राष्ट्रपति से अनुमति प्राप्त हो गई थी।
। ज्ञातव्य है कि सोमवार को वसुंधरा सरकार ने इस बिल को राजस्थान विधानसभा में पेश किया। इस बिल को लेकर बीजेपी भी दो फाड हो गई है। बीजेपी के विधायक घनश्याम तिवाडी व एक अन्य बीजेेपी नेता ने इस बिल का विरोध किया था। वहीं बीजेपी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने भी इस बिल का विरोध किया है।
सुब्रमण्यम स्वामी ने वसुंधरा सरकार से इस बिल को वापस लेने की बात कही। सिर्फ राजनेता ही नहीं पत्रकार भी इस बिल का विरोध कर रहे हैं। आज सुबह पिंकसिटी प्रेस क्लब से पत्रकारों ने काली पट्टी बांधकर इस बिल के विरोध में विधानसभा तक मार्च किया। वहीं इस बिल को हाईकोर्ट में भी चुनौती दी गई। विपक्षी पार्टी कांग्रेस भी इस बिल का जमकर विरोध कर रही है। विपक्ष ने कल विधानसभा के अंदर और बाहर विरोध प्रदर्शन किया।
कल हुए सियासी हंगामे को देखते हुए सीएम वसुंधरा राजे ने कल शाम को ही कैबिनेट के वरिष्ठ मंत्रियों से इस मसले पर बातचीत की। हंगामें के बाद सोमवार शाम को वसुंधरा राजे ने चार वरिष्ठ मंत्रियों और बीजेपी चीफ अशोक परनामी को विवादित और दुर्भाग्यपूर्ण कहे जा रहे आदेश पर चर्चा करने के लिए बुलाया। इस आदेश को लेकर सरकार को लगातार आलोचनाओं का सामना करना पड रहा है।
क्या है अध्यादेश में:
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