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प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय जयपुर विधेयक-2017 ध्वनिमत से पारित

जयपुर। राज्य विधानसभा ने मंगलवार को प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय जयपुर विधेयक-2017 को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। उच्च शिक्षा मंत्री किरण माहेश्वरी ने विधेयक को सदन में प्रस्तुत किया। विधेयक पर हुई बहस का जवाब देते हुए उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा कि वर्तमान सरकार के पिछले शासनकाल 2003 से 2008 के दौरान उच्च शिक्षा के क्षेत्र में निजी भागीदारी के द्वारा विश्वविद्यालय स्थापित करने का कार्य प्रारंभ हुआ। उन्होंने कहा कि यह गौरव का विषय है कि सरकारी एवं निजी क्षेत्र के संयुक्त प्रयासों के कारण ही प्रदेश में आज 24 राजकीय विश्वविद्यालय एवं 45 निजी विश्वविद्यालय संचालित हो रहे हैं। इसी का परिणाम है कि राज्य का सकल नामांकन अनुपात 21.9 प्रतिशत हो गया है। उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय औसत 25.3 प्रतिशत की बराबरी करने के लिए उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अधिक विस्तार करने की आवश्यकता है।

माहेश्वरी ने कहा कि राज्य सरकार का यह विश्वास है कि उच्च शिक्षा के उपयुक्त अवसर प्रदान किए जाएं, तो हमारे युवा अत्यंत उत्कृष्ट काम करके दिखा सकते हैं। राज्य सरकार सदा चाहती है कि राज्य के युवाओं को अपने सपने साकार करने के लिए उपयुक्त वातावरण व उच्च शिक्षा के केन्द्र हम जरूर दें। यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी, जयपुर विधेयक इसी दिशा में उठाया गया नवीनतम कदम है। यह विश्वविद्यालय, ग्राम वाटिका, तहसील सांगानेर व ग्राम फतेहपुरा बास, वाटिका, तहसील चाकसू जिला जयपुर में स्थापित किया जाना प्रस्तावित है, जो जयपुर सहित समीपवर्ती जिलों टोंक, सवाईमाधोपुर, अजमेर सहित संपूर्ण राजस्थान के विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा के क्षेत्र में नवीन अवसर प्रदान करेगा। उन्होंने कहा कि इस विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए अब तक 300 करोड़ रुपए का निवेश किया जाना प्रस्तावित है। वर्तमान में 100 करोड़ रुपए का निवेश किया जा चुका है तथा आगामी पांच वर्षों में 200 करोड़ रुपए का निवेश किया जाना प्रस्तावित है। विश्वविद्यालय की स्थापना से प्रत्यक्ष रूप से 950 एवं परोक्ष रूप से 2000 व्यक्तियों को रोजगार मिलेगा।

माहेश्वरी ने कहा कि विश्वविद्यालय में इंजीनियरिंग एवं टेक्नोलॉजी, मेडिसिन एवं हेल्थ, मेडिकल एवं फार्मास्युटिकल साइंस, मैनेजमेंट, होटल मैनेजमेंट, एग्रीकल्चर मैनेजमेंट, ट्यूर एवं ट्रैवल, अप्लाइड साइंसेज, कम्प्यूटर एप्लीकेशन, लॉ, एज्यूकेशन, साइंस एवं टेक्नोलॉजी, ह्यूमेनिटीज, सोशल साइंस, कृषि एवं पशुपालन विज्ञान, मास कम्यूनिकेशन, फिल्म टेक्नोलॉजी, अल्टरनेटिव थैरेपी, फॉरेन लैंग्वेज, धर्म, नेनो टेक्नोलॉजी, आर्किटेक्चर, फिजिकल एज्यूकेशन तथा खेल विज्ञान आदि पाठ्यक्रमों में अध्यापन एवं अनुसंधान का कार्य संबंधित विनियामक निकायों के नियमानुसार किया जा सकेगा। उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार न केवल निजी विश्वविद्यालयों को बढ़ावा दे रही है, बल्कि इनकी सतत मॉनीटरिंग भी कर रही है तथा अधिनियमों के प्रावधानों का उल्लंघन करने वाले एवं शिक्षा की गुणवत्ता के साथ खिलवाड़ करने वाले संस्थानों के विरुद्ध कठोर कदम भी उठा रही है।





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