जयपुर। सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना ने शुक्रवार को बताया कि प्रदेश में कृषि प्रसंस्करण, कृषि व्यवसाय एवं कृषि निर्यात को बढ़ावा देने के लिए श्रृंखलाबद्ध इकाइयां (प्रसंस्करण, वेयर हाउस, कोल्ड़ स्टोरेज आदि) स्थापित की जाएगी। इन इकाईयों की स्थापना हेतु अपेक्स बैंक एवं केन्द्रीय सहकारी बैंकों से वित्त पोषण की योजना लागू की गई है। जिसके तहत इकाई स्थापित करने वाले कृषकों एवं उद्यमियों को 500 करोड़ रुपए के ऋण उपलब्ध कराएं जाएंगे। इसके लिए सहकारिता विभाग द्वारा इस संबंध में योजना जारी की गई है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
आंजना ने बताया कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेत्त्व वाली सरकार ने राज्य में कृषि प्रसंस्करण को बढ़ावा देने के लिए कृषि प्रसंस्करण, कृषि व्यवसाय एवं कृषि निर्यात प्रोत्साहन नीति वर्ष 2019 में जारी की थी। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की मंशा है कि किसानों की आमदनी को दुगना किया जाए तथा किसानों को उनके उत्पादों का पूरा मूल्य मिले इस ओर सहकारिता विभाग द्वारा एक बड़ा कदम उठाया गया है। योजना के अनुसार राज्य में स्थापित होने वाले नए एवं वर्तमान में स्थापित कृषि प्रसंस्करण और कृषि व्यवसाय उद्यम जो आधुनिकीकरण, विस्तार या विविधीकरण को अपना रहे हैं, को वित्त पोषण सहकारी बैंकों द्वारा किया जाएगा।
प्रमुख शासन सचिव, सहकारिता, नरेश पाल गंगवार ने बताया कि सहकारी बैंकों द्वारा इकाईयों की स्थापना के लिए 75 प्रतिशत तक ऋण दिया जाएगा। जिसकी ब्याज दर 10 प्रतिशत होगी। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार की ओर से इस ब्याज दर में कृषक एवं कृषक समूह द्वारा स्थापित होने वाली इकाईयों पर 5 वर्ष के लिए 6 प्रतिशत ब्याज अनुदान जो अधिकतम 1 करोड़ रुपए होगा। जबकि अन्य उद्यमियों को 5 वर्ष के लिए 5 प्रतिशत ब्याज अनुदान जो अधिकतम 50 लाख रूपये होगा।
गंगवार ने बताया कि इसी प्रकार कृषक एवं कृषक समूहों द्वारा स्थापित होने वाली इकाई की लागत में होने वाले व्यय पर अनुदान के रूप में पूंजीगत लागत का 50 प्रतिशत या अधिकतम 1 करोड़ रुपए तथा अन्य उद्यमियों के लिए पूंजीगत लागत का 25 प्रतिशत या अधिकतम 50 लाख रूपये का अनुदान भी दिया जाएगा। इकाई स्थापित करने वाले उद्यमियों को राजस्थान राज्य कृषि विपणन बोर्ड स्तर पर स्थापित की जाने वाली एकल खिड़की के माध्यम से वित्त पोषण के लिए अपेक्स बैंक को भेजे जाएंगे।
रजिस्ट्रार, सहकारिता, डॉ. नीरज के. पवन ने बताया कि योजना के तहत बैंक ऋण पर आदिवासी क्षेत्रों, पिछड़े जिलों में स्थित इकाईयों, अनुसूचित जाति व जनजाति, महिला एवं 35 वर्ष से कम आयु के उद्यमियों को भी 1 प्रतिशत अतिरिक्त ब्याज अनुदान दिया जाएगा। सरकार के इस निर्णय से कृषि उद्योगों का विकास होगा वहीं किसानों को आपूर्ति एवं मूल्य संवर्धन श्रृंखला का भी विकास होगा। इससे राज्य में कृषि निर्यातकों को बढ़ावा एवं बिचौलियों से किसानों को मुक्ति मिलेगी।
डॉ. पवन ने बताया कि किसान एवं किसान संगठनों द्वारा इकाईया स्थापित होने पर ऋण एवं पूंजीगत लागत के रूप में 2 करोड़ रुपए का अनुदान दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि राज्य की विशिष्ट फसलों जैसे जीरा, धनिया, मेथी, सौंफ, अजवायन, ग्वार, इसबगोल, दलहन, तिलहन, मेहंदी, ताजा सब्जिया, किन्नूर, अनार, आदि के मूल्य संवर्धन तथा निर्यात को प्रोत्साहन मिलेगा तथा इन उत्पादों की पहुंच राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर होगी।
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