जयपुर । भारत-पाकिस्तान सीमा पर जीवन का एक अनूठा अनुभव होता है,
सुरक्षा बलों की दृढ़ता और 1971 के युद्ध की जीत की यादें ताजा करती जैसलमेर
की तनोट बावलियावाला सीमा हैं। राजस्थान और केन्द्र सरकार के पर्यटन विभाग
और सीमा सुरक्षा बल के सहयोग भारत-पाक सीमा का दौरा पर्यटन की दृष्टि से
सुखद होने वाला है। तनोट माता मंदिर, किशनगढ़ किला और लोंगेवाला युद्ध
स्मारक विशाल रेगिस्तानी धरा के बीच सुंदर गांव क्षेत्र के प्रमुख पर्यटक
स्थल आकर्षण का केंद्र बनने जा रहे हैं। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
पर्यटन
प्रमुख शासन सचिव श्रीमती गायत्री राठौड़ ने कहा कि बॉर्डर और इससे संबंधित
इतिहास पर्यटकों को स्वतः अपनी और आकर्षित करता है। सीमा सुरक्षा बल तनोट
माता पर्यटक स्थल के विकास और सीमावर्ती कठिन जीवन को प्रदर्शित करते हुए
सुरक्षित और आरामदायक यात्रा सुनिश्चित करता है। साथ ही समृद्ध ऐतिहासिक
भव्यता की पृष्ठभूमि में भारत-पाक सीमा की आभा पर्यटकों को जीवन भर संजोने
की स्मृति देती है।
लोंगेवाला भारत का सबसे
प्रसिद्ध सीमा है, जिसे 1971 के युद्ध के दौरान भारतीय सेना की वीरता के
लिए गर्व से याद किया जाता है। यह पर्यटकों के लिए प्रमुख आकर्षण का
केन्द्र है। तनोट माता मंदिर वह स्थान है, जहां प्रतिदिन लगभग 3000 से भी
अधिक पर्यटक और भक्त दर्शन और घुमने के लिए आते है।वर्तमान में कुछ ही
पर्यटकों को जिला प्रशासन की अनुमति के बाद बावलियावाला सीमा पर भी जाने का
मौका मिलता हैं। लेकिन, अब यहां एम्फीथिएटर, चिल्ड्रन एक्टिविटी एरिया,
कैफेटेरिया और अन्य सुविधाओं के साथ ही तनोट माता मंदिर परिसर में भी ऐसी
सुविधाएं विकसित की जायेगी।
पर्यटन गतिविधियों के
हिस्से के रूप में बीएसएफ डॉक्यूमेंट्री, हथियार प्रदर्शन और फोटो गैलरी
को तनोट में ऑप्स बेस पर प्रदर्शित किया जाएगा। पर्यटकों को बावलियावाला
बॉर्डर पर जाने और बॉर्डर पॉइंट पर रिट्रीट समारोह देख सकेंगे। जैसलमेर
जिला प्रशासन भी बावलियांवाला क्षेत्र को विकसित कर रहा है और आगंतुकों के
लिए अनेक सुविधाएं प्रदान कर रहा है।
उल्लेखनीय
है कि जैसलमेर शहर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पर्यटन स्थल के रुप में अपनी एक
अलग पहचान रखता है, ऐतिहासिक किले के कारण इसे गोल्डन सिटी भी कहा जाता है।
यहां की शाही हवेलियाँ, सांस्कृतिक विरासत और प्राकृतिक सुंदरता भी
पर्यटकों को स्वतः अपनी और आकर्षित करती है। बॉर्डर टूरिज्म से दूर-दराज के
गांवों और रेगिस्तानी क्षेत्र के निवासियों के लिए रोजगार के नए अवसर
सृजित होंगे। साथ ही इससे स्थानीय लोक कलाकारों को अपनी कला को प्रदर्शित
करने का बड़ा मंच मिलेगा।
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