जयपुर । राज्यपाल एवं कुलाधिपति कलराज मिश्र ने कहा है कि आदिवासी जन-जीवन में वनस्पतियों का प्राचीन औषधीय ज्ञान सहज रूप में मौजूद है। उन्होंने इस क्षेत्र में प्रचलित प्राकृतिक चिकित्सा पद्धतियों पर नए रूप में शोध और अनुसंधान किए जाने का आह्वान किया है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
राज्यपाल मिश्र गोविन्द गुरू जनजातीय विश्वविद्यालय, बांसवाड़ा के तृतीय दीक्षांत समारोह के अवसर पर शनिवार को यहां राजभवन से ऑनलाइन सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज की दैनिक परम्पराओं में पर्यावरण संरक्षण से जुड़ा वैज्ञानिक ज्ञान रचा-बसा है। इस ज्ञान को भी आधुनिक संदर्भों में प्रासंगिक बनाने के लिए गंभीरता से प्रयास किए जाने चाहिए।
कुलाधिपति ने गोविन्द गुरू जनजातीय विश्वविद्यालय को आदिवासी कला और संस्कृति के संरक्षण के साथ जनजातीय परम्पराओं और भाषाओं पर शोध का प्रमुख केन्द्र बनाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि आदिवासी बोलियों, परम्पराओं और पर्यावरण संरक्षण से जुड़े उत्सवों के साथ आदिवासी समाज के मेले-उत्सवों को कैसे संरक्षित किया जाए, इस पर भी ध्यान देने की जरूरत है।
मिश्र ने कहा कि आदिवासी और गैर-आदिवासी के बीच की खाई को पाटने के लिए इस विश्वविद्यालय को एक सेतु के रूप में कार्य करना चाहिए। इसके लिए आदिवासी युवाओं को स्वावलम्बन से जोड़ने के कौशल कार्यक्रमों पर अधिकाधिक जोर देना होगा।
राज्यपाल ने कहा कि इस विश्वविद्यालय ने कम समय में ही राज्यभर में अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है। विश्वविद्यालय द्वारा जनजाति थियेटर शुरू करने की योजना से यहां की प्रतिभा को नए आयाम मिलेंगे। उन्होंने जनजातीय संग्रहालय का प्रथम चरण पूर्ण होने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि इससे युवा पीढ़ी को जनजाति, कला-संस्कृति, परम्परा, रीति-रिवाज एवं महापुरूषों के जीवन चरित्र को जानने-समझने का अवसर मिलेगा। उन्होंने विश्वविद्यालय में वेद्-विद्यापीठ के अंतर्गत वेदों को आधुनिक संदर्भ में देखते हुए वेद संस्कृति से जुड़े ज्ञान के संरक्षण का कार्य करने का सुझाव भी दिया।
राज्यपाल ने विश्वविद्यालय के कुलपति सचिवालय-माही भवन तथा जनजाति संग्रहालय का ऑनलाइन लोकार्पण किया। उन्होंने विश्वविद्यालय की पत्रिका ‘प्रतिध्वनि’ का भी लोकार्पण किया।
दीक्षान्त समारोह में वर्ष 2021 में वाणिज्य, विज्ञान, कला एवं विधि संकाय में सफल रहे विद्यार्थियों को स्नातक, स्नातकोत्तर एवं पीएचडी की उपाधियां तथा सर्वोच्च अंक प्राप्त करने वाले 21 विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक प्रदान किए गए।
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