जयपुर । हमें अब उन क्षमताओं पर फिर से ध्यान देने की आवश्यकता है, जो मेडिकल व पब्लिक हैल्थ संस्थानों से पास होकर निकलने वाले ग्रेजुएट्स में इन संस्थानों द्वारा विकसित की जानी चाहिए। ये 17 सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल (एसडीजी) हैं, जिनमें हैल्थ तीसरे स्थान पर है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
आईआईएचएमआरयूनिवर्सिटी में साउथ ईस्ट एशियापब्लिक हैल्थ एजुकेशन इंस्टीट्यूशंस नेटवर्क की नवीं बैठक में यूनिवर्सिटी के चेयरमैन व साउथ ईस्ट एशिया पब्लिक हैल्थ एजुकेशन इंस्टीट्यूशंस नेटवर्क के प्रेसीडेंट डॉ. एस.डी. गुप्ताने यह बात कही।
गुप्ता ने कहा कि साउथ ईस्ट एशियापब्लिक हैल्थ एजुकेशन इंस्टीट्यूशंस नेटवर्क की बैठक मुख्य रूप से उन चार प्रमुख योग्ताओं पर आधारित होगी, जो पब्लिक हैल्थ संस्थानों द्वारा अपने स्टूडेंट्स में आवश्यक रूप से विकसित की जानी चाहिए । इन विचारों को अभ्यास में लाने की जरूरत है ।
हमें यह समझना होगा कि सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल और इसे प्राप्त करने के लिए अत्यंत आवश्यक यूनिवर्सल हैल्थ कवरेज क्या है।
बैठक में डब्ल्यूएचओ के साउथ ईस्ट ऑफिस, नईदिल्ली फैमेलीहैल्थ, जेंडर व लाइफ कोर्सडिपार्टमेंट की डायरेक्टर डॉ.नीना रैना मुख्य अतिथि थीं । उन्होंने डब्ल्यूएचओ की यूनिवर्सल हैल्थ कवरेज के विभिन्न पहलुओं के बारे में बताया और सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स की प्राप्ति में साउथ ईस्ट एशियापब्लिक हैल्थ एजुकेशन इंस्टीट्यूशंस नेटवर्क की भूमिका की जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि यूनिवर्सल हैल्थ कवरेज पब्लिक हैल्थ प्रोग्रामिंग के केंद्र में है और वर्ष 2014से यह मुख्य प्राथमिकता है।स्वास्थ्य के लिए दवा व मानव संसाधनों की पहुंच बढ़ाना इसका मुख्य फोकस है। हम डब्ल्यूएचओ के13वें जनरल प्रोग्राम में खरे उतरने के ट्रिपल बिलियन के लक्ष्य की ओर आगे बढ़ चुके हैं।दुनिया के एक अरब और लोगों को यूनिवर्सल हैल्थ कवरेज का लाभ मिलना चाहिए ।
इसके अलावा हमारे पास वर्ष2030 का सस्टेनेबल डेवलपमेंट एजेंडा व सस्टेनेबल गोल्स हैं, जोस्वस्थजीवन व उम्र को बढ़ानासुनिश्चित करेंगे।
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