जयपुर।
प्रतापनगर सेक्टर 8 के वीर हनुमान मंदिर में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा
त्रिवेणी संगम में सोमवार को रुक्मणी विवाह प्रसंग पर आचार्य शिवरतन
शास्त्री ने प्रवचन किए। उन्होंने कहा कि रसों का सागर ही महारास है।
अर्थात प्रेम, भक्ति का अंतिम फल है रास। रास में वही प्रवेश कर सकता है,
जिसके पास शुद्ध अनुराग है। क्योंक भगवान रास से नहीं अनुराग से मिलते हैं। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
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