जयपुर। प्रदेश के उर्जा मंत्री डॉं. बी.डी.कल्ला ने कहा कि राजस्थान में विद्युतिकरण एवं विद्युत आपूर्ति से संबंधित केन्द्र प्रवर्तित सौभाग्य, डी.डी.यू.जी.जे.वाई योजना की लंबित 417 करोड़ रुपये एवं आई.पी.डी.एस. योजना की लंबित 499 करोड़ रुपये की राशि शीघ्र उपलब्ध करवाई जाए। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
डॉ. कल्ला मंगलवार को नई दिल्ली में केन्द्रीय ऊर्जा राज्यमंत्री आर.के.सिंह की अध्यक्षता में आयोजित राज्यों के उर्जा मंत्रियों के सम्मेलन में भाग लेते हुए बोल रहे थे। बैठक में राजस्थान विद्युत प्रसारण निगम लिमिटेड के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक कुंजी लाल मीना भी उपस्थित थे।
उन्होंने कहा कि राजस्थान में सौर ऊर्जा एवं पवन ऊर्जा के उत्पादन की अपार संभावनाएं हैं ऎसे में इन क्षेत्रों के विकास के लिए केन्द्र सरकार अतिरिक्त वित्तीय सहायता उपलब्ध करावे साथ ही वर्तमान नियमों में राज्य सरकारों को छूट दी जावे ताकि इन रिन्यूवल एनर्जी के क्षेत्रों का विकास तेजी से किया जा सके।
कल्ला ने ‘दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना’ को दिसम्बर 2019 तक बढ़ाये जाने का प्रस्ताव भी रखा। उन्होने कहा कि इस प्रस्तावित समय में इस योजना के अंतर्गत ग्रामीण आवासों के विद्युतीकरण के लंबित कार्यो एवं कुछ फीडर सेपरेशन एवं 33 के.बी. सब स्टेशनों को निर्माण कार्य पूर्ण किया जा सके।
उन्होेंने कहा कि सौभाग्य योजना के अंतर्गत 31 मार्च, 2019 तक 1.56 लाख ग्रामीण आवासों का विद्युतीकरण कार्य शेष है तथा इससे संबंधित कार्यादेश जारी जा चुके हैं इसलिए इस योजना को भी दिसम्बर, 2019 तक बढ़ाया जाना जरूरी है। इसके लिए भारत सरकार द्वारा जल्द आवश्यक कदम उठाये जाने चाहिए।
बैठक में कल्ला द्वारा ‘किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महा अभियान (कुसुम) योजना के संचालन के लिए वर्तमान में जारी दिशा निर्देशों में संशोधन का सुझाव भी दिया। कल्ला ने बैठक में कहा कि पन विद्युत परियोजनाओं की तरह ही जिन राज्यों में सौर एवं पवन विद्युत परियोजनाएं स्थापित है उनकी क्षमता का 15 प्रतिशत विद्युत आवंटन राज्य को निःशुल्क उपलब्ध कराया जावे।
उन्होंने कहा कि सोलर व पवन उर्जा में अत्याधिक परिवर्तन के कारण ग्रिड की स्थिरता पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। इस कारण हुए विचलन (डेवीएशन) के लिए ऎसे राज्यों जहां प्रचुर मात्रा में अक्षया उर्जा क्षमता है उनको जुर्माने से छूट दी जानी चाहिए ताकि वितरण निगमों व उपभोक्ताओं पर अनावश्यक अतिरिक्त भार का बोझ न पड़े।
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