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जयपुर । राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र को नवसंवत्सर राजस्थानी कैलेंडर भेंट करने के साथ ही राजस्थानी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने का मुद्दा एक बार फिर से चर्चा में आ गया है।उल्लेखनीय है कि राजस्थान विधानसभा में राजस्थानी भाषा को मान्यता देने सम्बंधी संकल्प सर्व सम्मति से पारित हुआ है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केन्द्रीय गृह मंत्री आदि को भी इस बारे में ज्ञापन दिए गए है। संसद में कई बार देश विदेश में करोड़ों लोगों द्वारा बोली जाने वाली राजस्थानी,भोजपुरी और भोती भाषाओं को मान्यता देने के बारे में अधिकारिक आशवासन दिए गए है।
राजस्थानी भाषा आन्दोलन से कई दशकों से जुड़े जोधपुर के पदम चन्द मेहता ने चैत्र सूद एकम और विक्रम संवत 2078 के पहले दिन राज्यपाल मिश्र को राजभवन जयपुर में प्रवासी राजस्थानी मंडल, अहमदाबाद द्वारा प्रकाशित यह कैलेंडर भेंट किया। विक्रम संवत २०७८ का यह कैलेंडर अहमदाबाद के “राजस्थानी भाषा अर संस्कृति प्रचार मंडल और माणक पत्रिका के सहयोग से बनाया गया हैं। दोनों संस्थाएँ गत तीन वर्ष से ऐसे कैलेंडर निकाल रही है।
राजस्थानी भाषा में लगभग ढाई लाख शब्द
राजस्थानी भाषा और संस्कृति प्रचार मंडल अध्यक्ष और इसरो के पूर्व वैज्ञानिक डॉ. सुरेंद्र सिंह पोखरणा के अनुसार राजस्थानी भाषा में लगभग ढाई लाख शब्द है और लगभग चार लाख पुस्तके उपलब्ध है, वह बहुत ही समृद्ध भाषा है और ज्ञान का भंडार है।
लाखो गीतों और भजनो और कहावतों का भंडार
राजस्थान के लगभग सात करोड़ लोगों की मातृभाषा है। इस भाषा में राजस्थान के महान सपूतो और शूरवीरों की कहानिया है। राजस्थानी भाषा में कहीं सांस्कृतिक और शुभ प्रसंगो पर गाए जाने वाले लाखो गीतों और भजनो और कहावतों का भंडार हैं। इस ज्ञान भंडार में कहीं ऐसे विषय है जो वर्तमान विश्व की समस्याओ का अचूक समाधान दे सकते हैं।
भारतीय काल-गणना ही सर्वश्रेष्ठ काल गणना
राज्यपाल को भेंट किए कैलेंडर के बारे में इसरो के भूतपूर्व वैज्ञानिक और भारत के चंद्रयान मिशन के प्रणेता और राजस्थानी भाषा और संस्कृति प्रचार मंडल के वरिष्ठ सदस्य प्रोफ़ेसर नरेंद्र भंडारी के अनुसार भारतीय काल गणना वैज्ञानिक है और पूरे विश्व के लिए अत्यन्त उपयोगी है और एक प्राकृतिक और संतुलित जीवन प्रणाली का आधार स्तम्भ है।
कैलेंडर के बारे पदम मेहता ने बताया कि संसार की सर्वश्रेष्ठ काल गणना भारतीय काल-गणना है ! भारतीय काल गणना अचूक है, निर्दोष है, सनातन है अर्थात् पुरातन भी है और नित्य नूतन भी है ! साथ ही प्राकृतिक भी है और वैज्ञानिक भी है ! क्यों कि भारतीय तिथि पत्र/कलेंडर प्रकृति के परिवर्तन पर आधारित है, इसलिए यह प्राकृतिक है ! कब दिन होगा, कब रात होगी,कब चाँद बढ़ेगा,कब घटेगा, कब पूरा चाँद रहेगा,कब अमावश्या होगी, समुद्र में ज्वार कब आयेगा, इन सामान्य प्रश्नों के उत्तर ग्रेगेरियन कलेंडर से नहीं दे सकते हैं !
पूर्णतः वैज्ञानिक हैं भारतीय मासों के नाम
भारतीय मासों के नाम पूर्णतः वैज्ञानिक है ! चैत्र आदि नाम उस मास की पूर्णिमा के चन्द्र-नक्षत्र के आधार पर हैं ! भारतीयों द्वारा खोजी गयी काल गणना किसी व्यक्ति अथवा किसी समूह विशेष की घटना विशेष पर आधारित नहीं है ! इसलिए यह साम्प्रदायिक अथवा किसी राष्ट्र विशेष की धरोहर नहीं है ! यह सार्वभौम है ! अपना अपना अभिनिवेश यदि बाधक न हो तो सारे संसार के लिए एक मात्र उपयुक्त यह काल गणना है !
मेहता ने इस मौके पर राज्यपाल को राजस्थानी भाषा की पत्रिका का विशेष अंक भी भेंट किया। मेहता जलते दीप समूह के भी प्रमुख हैं।
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