जयपुर। राज्य में अक्षय ऊर्जा की अपार संभावनाएं हैं। निश्चित रूप से सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा और बायो गैस राज्य में ऊर्जा के बड़े और दक्ष स्रोतों के रूप में स्थापित होंगे और परम्परागत ऊर्जा के स्रोतों पर हमारी निर्भरता कम होगी। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
जयपुर के बिड़ला ऑडिटोरियम में मंगलवार को पूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी के 75वें जयंती समारोह के उपलक्ष्य में दूसरे दिन अक्षय ऊर्जा दिवस पर ‘एक्सप्लोरिंग रिन्युअबल एनर्जी पोटेंशियल इन द स्टेट ऑफ राजस्थान‘ विषय पर आयोजित तकनीकी सत्र में विषय विशेषज्ञों ने ये विचार व्यक्त किये।
सत्र के दौरान राज्य में सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा और बायो मास ऊर्जा की संभावनाओं और चुनौतियों के बारे में चर्चा की तथा इस क्षेत्र में काम करने के अपने अनुभवों को साझा किया। सत्र की अध्यक्षता एमएनआईटी के इंक्यूबेशन सेंटर के प्रभारी तथा मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर डॉ. ज्योतिर्मय माथुर ने की।
इस अवसर पर बेयर फुट कॉलेज के भगवत नंदन ने कहा कि सौर ऊर्जा में राज्य के लिए अपार संभावनाएं हैं। उन्होंने बताया कि तिलोनिया स्थित उनके कॉलेज में ऎसी महिलाएं सौर ऊर्जा पर आधारित लालटेन, एल.ई.डी लाइट, वाटर हीटर जैसे उपकरण बना रही हैं, जो कभी स्कूल नहीं गई और उन्हें पढ़ना लिखना भी नहींआता। ये महिलाएं अन्य महिलाओं को ट्रेनिंग देने का काम भी बखूबी कर रही हैं। भगवत नंदन ने कहा कि उन्होंने अपने कॉलेज के जरिये गांव की निरक्षर महिलाओं के सशक्तिकरण का तथा उन्हें पर्यावरण से जोड़ने का काम किया है।
सौर ऊर्जा कम्पनी ऑफ राजस्थान लिमिटेड के सीईओ केशव प्रसाद ने सौर ऊर्जा की संभावनाओं और उनकी चुनौतियों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि तकनीक के विकास के साथ सोलर सेल की दक्षता बढ़ी है, सेल पहले की अपेक्षा हल्के और पतले हुए हैं तथा लागत में भी कमी आई है। उन्होंने कहा कि सौर ऊर्जा का उपयोग पहले की अपेक्षा ज्यादा विश्वसनीय हुआ है और इस पर निर्भरता में भी इजाफा हुआ है। उन्होंने कहा कि सौर ऊर्जा का सबसे सकारात्मक पहलू है कि इसको स्थापित करने में समय बहुत कम लगता है।
सुजलॉन विंड एनर्जी कॉर्पोरेशन के विनोद बिश्नोई ने कहा कि राजस्थान में पवन ऊर्जा की बहुत संभावनाएँ हैं तथा राज्य में यह अक्षय ऊर्जा का महत्त्वपूर्ण विकल्प साबित हो सकता है। उन्होंने कहा कि राज्य में पवन ऊर्जा के लिए सभी आवश्यक कारक मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में सबसे बड़ी चुनौती भूमि अधिग्रहण है।
सर्विसेज फ्रॉम सिमेन्स के अध्यक्ष पी राजेनथिरन ने कहा कि राजस्थान में पवन ऊर्जा के क्षेत्र में जितनी संभावनाएं हैं, उसकी तुलना में उत्पादन बहुत कम है।
एग्रो गैस के अतुल आकोलकर ने कहा कि बायो गैस भविष्य की ऊर्जा की आवश्यकताओं को पूरा करने की क्षमता रखती है। उन्होंने कहा कि बायो मास ऊर्जा समय पर निर्भर नहीं है और इसका हर समय उत्पादन हो सकता है। उन्होंने कहा कि धान कटने के बाद बचे हुए पौधे से कन्प्रेस्ड बायो गैस बनाई जा सकती है, जिसका वाहनों में उपयोग हो सकता है। उन्होंने कहा कि इसका फायदा किसानों को भी मिलेगा और पर्यावरण प्रदूषण भी कम होगा।
स्टरलाइट पावर के उपाध्यक्ष अनिल रावल ने कहा कि अक्षय ऊर्जा के लिए ग्रिड इंटीग्रेशन सबसे बड़ी चुनौती है। उन्होंने कहा कि सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा के उत्पादन और उपभोग के समय में अन्तर है, इसलिए जरूरत के समय के लिए इस ऊर्जा को स्टोर करना एक समस्या है। उन्होंने कहा कि यदि हम इसकी व्यवस्था कर लेते हैं तो ये काफी सस्ता हो सकता है।
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