जयपुर।
जवाहर कला केंद्र (जेकेके) में आयोजित किये जा रहे पांच दिवसीय फेस्टिवल
‘नृत्यम‘ का आज समापन हुआ। जयपुर कथक केन्द्र के सहयोग से आयोजित प्रस्तुति
‘जल‘ में कलाप्रेमियों को जयपुर कथक घराने का पारम्परिक और प्रायोगिक
स्वरूप देखने को मिला। कार्यक्रम की परिकल्पना एवं नृत्य संरचना जयपुर कथक
केन्द्र की प्राचार्या, डॉ. रेखा ठाकर द्वारा की गई। दर्शकों को ऐसा लगा
मानो जेकेके का रंगायन जयपुर कथक नृत्य की परम्पराओं की खुशबु से महक उठा
हो। जेकेके इस अवसर पर जेकेके के अतिरिक्त महानिदेशक (एडीजी), श्री फुरकान
खान भी उपस्थित थे। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
कलाकारों द्वारा नृत्य संरचना ‘जल‘ को दो चरणों
में पेश किया गया। प्रथम चरण में जयपुर कथक के पारम्परिक स्वरूप को पेश
करते हुए कलाकारोें द्वारा ताल धमार में पारम्परिक कवित्त ‘दई मारे बदरवा
करत शोर‘ और ‘नए नए जलद सावन के‘ सेनापति कवित्त पर अद्भुद प्रस्तुति दी
गई। इस अवसर पर तीन ताल एवं राग मल्हार में ‘उमड घुमड घन बरसे बूंदडी‘ जैसी
पारम्परिक बंदिश पर भी शानदार प्रस्तुति दी गई।
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