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अदालत ने शास्त्री को तौलने के लिए रखा 56.86 किलो सोना सरकार को देने के निर्देश दिए

The court directed Shastri to give 56.86 kg gold to the government for weighing - Jaipur News in Hindi

जयपुर । राजस्थान की एक अदालत ने भारत-पाकिस्तान 1965 युद्ध के मद्देनजर, तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के स्वागत में उनको तोलने के लिए भेंट किया गया 56.86 किलो सोना सरकार को सुपुर्द करने के निर्देश दिए हैं।

शास्त्री के वजन जितना 56.86 किलो सोना राजस्थान में चित्तौड़गढ़ के जिला कलेक्टर के पास जमा कराया गया था।

उस समय इस सोना की कीमत 4.76 लाख रुपये थी, वहीं अब इसकी मौजूदा बाजार के हिसाब से 27.29 करोड़ रुपये आंकी गई है।

चित्तौड़गढ़ में जिला एवं सत्र न्यायालय ने बुधवार को केंद्रीय माल और सेवा कर के सहायक आयुक्त को सोना सौंपने का निर्देश दिया।

1965 के अंत तक सोने के स्वामित्व पर विवाद तब बढ़ा, जब कीमती धातु को तौलने से पहले चित्तौड़गढ़ के जिला कलेक्टर के पास रखा गया था। इस मामले को पांच बार पहले भी विभिन्न अदालतों में सुना जा चुका है और हर बार फैसला सरकार के पक्ष में गया।

वर्तमान में यह सोना उदयपुर जिला कलेक्टर कार्यालय की एक अलमारी में रखा हुआ है।

नौ दिसंबर, 1965 को गुणवंत नामक व्यक्ति ने गणपत और दो अन्य के खिलाफ मामला दर्ज कराया, जिसमें आरोप लगाया गया कि आरोपी ने उसे 56.86 किलो सोना वापस नहीं किया है।

बता दें कि 16 दिसंबर, 1965 को गणपत ने प्रधानमंत्री शास्त्री का वजन करने के लिए सोने को चित्तौड़गढ़ कलेक्टर को सौंप दिया था। शास्त्री की उदयपुर यात्रा निर्धारित थी, इसलिए तब तक सोना कलेक्टर के पास रखा गया था। हालांकि प्रस्तावित यात्रा से ठीक पहले ही प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के जनवरी 1966 में निधन के चलते यह यात्रा नहीं हो पाई। इसके बाद पुलिस ने सोना जब्त कर लिया, लेकिन इसकी कस्टडी चित्तौड़गढ़ कलेक्टर के पास ही रखी गई।

1969 में उदयपुर में सहायक जिला सत्र न्यायालय में एक चालान पेश किया गया और फिर सोना उदयपुर लाया गया।

11 जनवरी, 1975 को अदालत ने गणपत और हीरालाल को दो साल के कारावास की सजा सुनाई और सोने पर अधिकार गोल्ड कंट्रोलर को दे दिए गए।

गणपत और हीरालाल ने सत्र न्यायालय में फैसले को चुनौती दी। उन्हें मुक्त कर दिया गया, लेकिन उन्होंने सोने पर कब्जे का अपना दावा नहीं छोड़ा।

गुणवंत की ओर से हाईकोर्ट के उस फैसले के खिलाफ एक याचिका फिर से दायर की गई, जिसने 14 सितंबर, 2007 को बरी करने के आदेश को बरकरार रखा, लेकिन उन्हें सोने पर अधिकार हस्तांतरित करने की अपील को खारिज कर दिया।

2012 में गणपत के वारिस गोवर्धन ने अदालत में एक याचिका दायर की, जिसमें कहा गया था कि सोना उनके पिता का है और पुलिस ने उसे उनसे बरामद किया था। हालांकि, यह याचिका अभी भी लंबित है।

--आईएएनएस



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Web Title-The court directed Shastri to give 56.86 kg gold to the government for weighing
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