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जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल 2020 में खिलेंगे विविध भारतीय भाषाओं के रंग

The colors of various Indian languages ​​will blossom at Jaipur Literature Festival 2020 - Jaipur News in Hindi

जयपुर। भारत की संपन्न, वैविध्य और रंगीन साहित्यिक धरोहर जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के 13वें संस्करण का आधार है, जो भारत के विविध भाषी लेखकों को एक साथ एक मंच पर लेकर आ रहा है। इस साल फेस्टिवल असमी, बंगाली, गुजराती, हिंदी, मलयालम, मराठी, ओड़िया, प्राकृत, राजस्थानी, संस्कृत, संथाली, तमिल, उर्दू और नागामी भाषाओं के लेखकों की मेजबानी कर रहा है। फेस्टिवल में इन भाषाओं की शानदार धरोहर के साथ लेखन के समकालीन ट्रेंड पर चर्चा की जाएगी।

दुनिया के सबसे बड़े साहित्यिक प्रोग्राम के नाम से मशहूर जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल 23 से 27 जनवरी 2020 को अपने 13वें संस्करण के लिए तैयार है। पांच दिन के इस साहित्यिक उत्सव में देश और दुनिया के 300 से अधिक वक्ता शिरकत करेंगे।

साहित्य जगत की जानी-मानी और प्रसिद्ध हस्तियां अपनी परम्पराए मानदंड और विशिष्टता के साथ भारत के भिन्न प्रान्तों की कहानियां कहेंगी। हमारा मकसद है कि भूमंडलीकरण के इस दौर में हम साहित्य के माध्यम से भाषिक एकता की विविधता को बरक़रार रख पाएं।

अपने विशेष वाक्य, विन्यास और बोलियों की विविधता से मुखर राजस्थानी भाषा के सत्र में, राजस्थान के आइकोनिक कवि चन्द्र प्रकाश देवल, राजस्थानी भाषा के प्रमुख कवि राजू राम बिजरनियां, जाने-माने लेखक रितुप्रिया और मधु आचार्य राज्य की संपन्न विरासत और भाषिक परम्परा पर चर्चा सत्र राजस्थानी बिन्या क्यारो राजस्थान में करेंगे। प्रसिद्ध लेखक विशेष कोठारी से संवाद करते हुए, पैनल राजस्थानी साहित्य के विभिन्न फलक पर चर्चा करेगा।

एक अन्य संवाद में, विशेष कोठारी और चन्द्र प्रकाश देवल द्विभाषिक उपन्यासकार अनुकृति उपाध्याय से राजस्थानी लेखक, कवि और साहित्यकार विजयदान देथा की समृद्ध विरासत पर चर्चा करेंगे। देथा भाट परिवार से थे और आपने साहित्य की मुख्य धारा में लोककथाओं और वाचिक परम्परा में अभूतपूर्व योगदान दिया। इस सत्र में विशेष कोठारी के द्वारा अनूदित किताब टाइमलेस टेल्स फ्रॉम मारवाड़ से अंश पाठ किया जाएगा। ये विजयदान देथा की बातां री फुलवारी का अनुवाद है।


आधुनिक हिंदी फिक्शन साहित्य के अतीत और उभरते वर्तमान को जोड़ने वाली एक कड़ी है। दो प्रसिद्ध लेखक इस बदलाव पर बात करेंगे। कमलकांत त्रिपाठी का हालिया प्रकाशित उपन्यास सरयू से गंगा पिछली सदी के इतिहास और संस्कृति की शानदार प्रस्तुति है। लोकप्रिय राजस्थानी लेखक नंद भारद्वाज का हाल ही में प्रकाशित हुआ लघु कथा संग्रह बदलती सरगम बदलते समाज की विरोधों और विशिष्टता पर आधारित है। हिंदी की जानी-मानी लेखिका अनु सिंह चौधरी से बात करते हुएए ये लेखक अपनी कृति से पाठ भी करेंगे।

एक प्रेरक सत्र द रिवर्स, द स्काई, द सेल्फ, में भारत के उत्तर-पूर्व के चार लेखक अपनी ज़मीन, लोककथाओं, वाचिक इतिहास पर बात करेंगे। सत्र वक्ताओं में शामिल हैं, द्विभाषिक कवि, अकादमिक और नाटककार एस्थर साइमय नागालैंड के पुरस्कृत कवि, कहानीकार, उपन्यासकार ईस्टरीन कीरेय और 2017 में साहित्य अकादेमी युवा पुरस्कार विजेता मृदुल हलोई। विशिष्ट पैनल से चर्चा करेंगी अकादमिक और फेमिनिस्ट पब्लिशर उर्वशी बुटालिया। प्राचीन और मध्यकालीन भारत में ज्ञान, पठन और अनुष्ठानों की प्रमुख भाषा संस्कृत रही है। इसकी समृद्ध परम्परा से अनेक आधुनिक भारतीय भाषाओं की उत्पत्ति हुई, और आज भी भारतीय जीवन पर इसका बड़ा प्रभाव देखने को मिलता है। ये आज भी उन जीवित भाषाओं में शामिल हैं, जिसे स्कूलों में पढ़ाया जाता है। ऑल इंडिया रेडियो से प्रसारित किया जाता है, और देश भर में 90 से अधिक पब्लिकेशन इसे छापते हैं। एक ख़ास सत्र में दुनिया के लेखक और विद्वान संस्कृत और आधुनिक जीवन में इसकी भूमिका पर चर्चा करेंगे। पैनल में शामिल हैं ऑस्कर पुजोल, संस्कृत-कातालान और संस्कृत-स्पेनिश डिक्शनरी के रचयिताय मधुरा गोडबोले, अमेरिकन इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडियन स्टडीज में संस्कृत लैंग्वेज डिपार्टमेंट के प्रोग्राम हेड, मकरंद आर, परांजपे कवि, शोधार्थी और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ एडवांस स्टडीज के डायरेक्टर, रेचल डायर, सोएस, लंदन यूनिवर्सिटी में इंडियन कल्चर और सिनेमा पढ़ाती हैं।

भारतीय साहित्य का भूदृश्य बहुभाषी है, जिसमें 22 अधिकृत भाषाएं और हजारों मातृभाषाएं और बोलियां हैं। मैनी लेंगुएज वन लिटरेचर, सत्र में तीन लोकप्रिय लेखक इसी विविधता की टोह लेंगे। अरुणी कश्यप, केआर मीरा और शुभांगी स्वरुप अपनी असमी, मलयालम और इंग्लिश किताबों से अंश पाठ करेंगे और अपने काम के साहित्यिक और भाषिक संदर्भ पर चर्चा करेंगे।

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Web Title-The colors of various Indian languages ​​will blossom at Jaipur Literature Festival 2020
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