जयपुर । नेता-अफसरों को बचाने वाले बिल को राजस्थान सरकार ने भले ही प्रवर समिति को सौंप दिया हो, लेकिन इस बिल को लेकर हाईकोर्ट से लेकर सत्ता से गलियारों और आम जनता के बीच बहस जारी है। इस बिल के तहत झूठे मुकदमों पर रोक लगाने के लिए राज्य सरकार ने मंशा जाहिर की है। खास खबर डॉट कॉम को एक ऐसा ही मामला मिला है। जिसमें अशोक नगर थाना प्रभारी ने मुख्य सचिव कार्यालय के पूरे स्टाफ के खिलाफ एक शख्स की शिकायत पर मामला दर्ज कर लिया, और बाद में जांच के बाद इस मामले में एफआर लगानी पड़ी। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
खास खबर डॉट कॉम को मिली एफआईआर की कॉपी के मुताबिक 19 मई 2015 को बीकानेर निवासी रणवीर आचार्य ने एक परिवाद देकर मुख्य सचिव के पूरे स्टाफ के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवा दी थी। सबसे गौर करने वाली बात है कि तत्कालीन मुख्य सचिव सीएस राजन तक को इस मामले की सूचना तत्कालीन अशोक नगर थाना प्रभारी गीता चौधरी ने देना उचित नहीं समझा और आईपीसी की धारा 323, 341, 166 के तहत मामला दर्ज कर लिया। जब तत्कालीन मुख्य सचिव सीएस राजन को अखबार के जरिये और अपने स्टाफ के जरिये इस मामले का पता चला तो उन्होंने तत्कालीन पुलिस कमिश्नर जंगा श्रीनिवास राव को तलब किया। इसके बाद पुलिस को लगभग एक साल बाद इस मामले में एफआर लगानी पड़ी। इस एफआईआर के तहत बीकानेर निवासी रणवीर आचार्य ने मुख्य सचिव के स्टाफ पर धक्का-मुक्की करने और मारपीट करने का मामला दर्ज कराया था।
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