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- गिरिराज अग्रवाल -
जयपुर। इस कहानी के दूसरे भाग में आपने पढ़ा कि किस तरह जेडीए के अधिकारियों ने डॉ. प्रमिला जैन को बिना भू-उपयोग परिवर्तन कराए काटी गई स्कीम बालाजी विहार आवासीय/फार्म हाउस में खरीदे भूखंड के सेक्टर रोड में आने पर बतौर मुआवजा 25 प्रतिशत व्यावसायिक जमीन देने की की फाइल एक दशक बाद चलाई और भूखंड आवंटित कर दिए। यहां तक समर्पित की गई जमीन का कब्जा तक नहीं लिया। समर्पणनामे पर जोन उपायुक्त के दस्तखत नहीं होने के बावजूद उसे स्वीकार किया और भूमि के बदले भूमि देने के लिए सरकार को पूछा तक नहीं। अब आगे-
यह कहानी यहीं खत्म नहीं हुई कि प्रार्थिया प्रमिला जैन को 3 भूखंड आवंटित कर दिए गए। बल्कि उसे फायदा पहुंचाने के लिए एक नई फाइल चलाई गई। इसमें पार्श्वनाथ नारायण विहार स्कीम में आवंटित किए जा चुके 3 भूखंडों जिनका कब्जा संभला दिया गया था और लीजडीड भी रजिस्टर्ड कराई जा चुकी थी। उनकी जगह इच्छित स्थान पर और अधिक कीमत वाले भूखंड आवंटन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई।
दरअसल, नई फाइल इसलिए शुरू हुई क्योंकि प्रार्थिया प्रमिला जैन की ओर से 5 नवंबर, 2019 को तत्काली जेडीए आयुक्त को एक आवेदन दिया गया। इसमें कहा गया था कि उसे भूमि के बदले भूमि के बतौर जो 3 भूखंड आवंटित किए गए हैं। उन पर काश्तकारों का पुश्तैनी कब्जा है। उन्होंने अतिक्रमण हटाने के विरुद्ध जेडीए ट्रिब्यूनल से स्टे यानि स्थगन आदेश प्राप्त किया हुआ है।
मौजी विहार स्कीम में 42.72 लाख रुपए ज्यादा कीमत का प्लॉट देने की कोशिशः
इस पर जेडीए अफसरों ने मौजी विहार स्कीम में 60 फुट चौड़ी रोड पर प्रार्थिया प्रमिला जैन को भूखंड संख्या एससी 06 क्षेत्रफल 367.06 वर्गमीटर का अलॉट करने की प्रक्रिया शुरू कर दी। जबकि उसका कथित दावा 300 वर्गमीटर जमीन तक ही बनता था। इसके लिए भी समतुल्य भूमि का निर्धारण करने के लिए फिर आऱक्षित दर का सहारा लिया गया। लेकिन, तत्कालीन जेडीए आयुक्त की आपत्ति के बाद इसमें समर्पित भूमि की समतुल्यता तय करने के लिए DLC रेट को आधार माना गया। इससे पता चला कि मौजी विहार स्कीम में जो प्लॉट (367.06 वर्गमीटर) अलॉट किया जा रहा था, उसकी कीमत 75 लाख 60 हजार रुपए थी। जबकि उसके द्वारा समर्पित की गई 1200 वर्गमीटर भूमि के बदले दिए जाने वाले भूखंड की कीमत 32 लाख 87 हजार 892 रुपए ही थी।
प्लॉट की रेट कम करने का ऐसे निकाला फार्मूलाः
रोचक तथ्य यह है कि मौजी विहार स्कीम के प्लॉट की कीमत 75.60 लाख रुपए आंकी गई तो प्रार्थिया प्रमिला जैन फिर जेडीए आयुक्त के समक्ष पेश हुई और 29 जनवरी, 2020 को प्रार्थना पत्र देकर कहा कि पार्श्वनाथ नारायण विहार में आवंटित 3 भूखंडों और उसके द्वारा समर्पित की गई 1200 वर्गमीटर जमीन की समतुल्यता का निर्धारण DLC रेट के आधार पर किया जाए। इसके लिए जेडीए आयुक्त राजी हो गए। इससे गणना करने पर पूर्व में आवंटित 3 भूखंडों की कीमत 72.90 लाख रुपए आई। जबकि मौजी विहार वाले भूखंड की कीमत 75.60 लाख रुपए आंकी गई थी। इस तरह रेट का अंतर जो पहले 42.72 लाख रुपए था। वह घटकर मात्र 2.70 लाख रुपए रह गया।
जानिए, इसमें गलत क्या हुआः
प्रमिला जैन की 1200 वर्गमीटर भूमि बालाजी विहार की सेक्टर रोड में आई थी। मुआवजे की भूमि भी वही 25% वर्गमीटर वहीं देनी चाहिए थी। वहां अतिरिक्त जमीन उपलब्ध भी थी। लेकिन, उसे पार्श्वनाथ नारायण विहार में 3 व्यावसायिक भूखंंड उसकी सहमति से आवंटित किए गए। इनकी लीज डीड जारी रजिस्टर्ड कराने के साथ ही कब्जा भी दिया जा चुका था। इसलिए यह मामला वहीं खत्म हो जाना चाहिए था।
चूंकि प्रमिला जैन को समर्पित 1200 वर्गमीटर के बदले 25 प्रतिशत 300 वर्गमीटर भूमि दी जानी थी। इसलिए पार्श्वनाथ नारायण विहार में अलॉट 3 भूखंडों की DLC रेट से मौजी विहार स्कीम के प्लॉट की समतुल्यता का निर्धारण नहीं किया जा सकता था। बल्कि समर्पित की गई कृषि भूमि की DLC रेट को आधार बनाया जाना चाहिए था। जो निश्चित तौर पर व्यावसायिक भूमि की तुलना में बहुत कम होती है।
इसी तरह पार्श्वनाथ नारायण विहार स्कीम में आवंटित भूखंडों से अतिक्रमण हटाने पर जेडीए ट्रिब्यूनल के स्टे का गलत हवाला दिया गया। यह स्टे ख. नं. 229 में गैर मुमकिन रास्ते की जमीन पर था। न कि ख.नं. 194-196 की जमीन पर। काश्तकारों ने मौजूदा अतिक्रमण को हटाने के लिए कई बार जेडीए में शिकायत की। लेकिन, जोन 8 ने अतिक्रमण हटाने के बजाय मौजी विहार स्कीम में प्लॉट आवंटन की फाइल चला दी। प्रमिला जैन को पहले 30 फुट चौड़ी रोड पर प्लॉट आवंटित हुए थे, बाद में 60 फुट चौड़ी रोड पर भूखंड दे दिया गया। जो गलत है और डीएलसी रेट में अंतर आना स्वाभाविक है।
( कहानी अभी बाकी है, पढिए अगली किश्त में)
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