जयपुर। प्रदेश में कार्यरत यशोदाओं से सीधा संवाद की एक ऐतिहासिक पहल करते हुये गुरूवार को इंदिरा गांधी पंचायतराज सभागार में दो चरणों में राज्य स्तरीय यशोदा सम्मेलन आयोजित किया गया। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
अतिरिक्त मुख्य सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य वीनू गुप्ता एवं मिशन निदेशक एनएचएम नवीन जैन ने राजस्थान की सभी 482 यशोदाओं से सीधा संवाद किया। इस संवाद कार्यक्रम में यशोदाओं के कार्यों, उनकी भूमिका पर विस्तार से चर्चा के साथ मातृ व शिशु स्वास्थ्य से संबंधी आवश्यक जानकारियां दी गयीं। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में प्रसव पश्चात् मां व नवजात शिशु की देखभाल एवं आवश्यक परामर्श देने हेतु के उद्देश्य से जिला अस्पतालों एवं चयनित 46 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर कार्यरत हैं।
गुप्ता ने सभी यशोदाओं से एक सकारात्मक सोच के साथ माता व शिशुओं की बेहतर देखभाल सेवाएं देने का आग्रह किया। यशोदाओं ने फील्ड में अपने अनुभव शेयर करते हुये दैनिक समस्याओं से अतिरिक्त मुख्य सचिव को अवगत कराया। उन्होंने यथाशीघ्र समस्याओं निस्तारण के निर्देश दिये। उन्होंने सीधे संवाद की इस ऐतिहासिक पहल की प्रशंषा की।
जैन ने उन्होंने बताया कि यशोदा की प्राथमिक भूमिका एक सखी व सलाहकार की है। वह प्रसूताओं के साथ चिकित्सा संस्थानों में आने वाली आशाओं से माता के संबंध में जानकारी लेना, ममता कार्ड प्राप्त कर उनके रजिस्ट्रेशन कराने एवं नवजात की देखभाल आदि महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करती है। उन्होंने उनकी कार्यों व भूमिका के बारे में विस्तार से चर्चा की। साथ ही उन्होंने प्रदेश में बेटियों को बचाने के लिये संचालित डाटर्स आर प्रीशियस अभियान, मुखबिर योजना के बारे में भी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि बेटियों को बचाने के इस नेक अभियान में अपनी भूमिका निभाने का भी आग्र किया। उन्होंने राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के बारे में भी विस्तार से जानकारी प्रदान की।
मिशन निदेशक ने राजकीय चिकित्सा संस्थानों में मिलने वाले जननी सुरक्षा योजना के तहत प्रसूता को मिलने वाली प्रोत्साहन राशि, राजश्री योजना के तहत बेटी जन्म पर मिलने वाली राशि एवं अन्य आवश्यक जानकारियां दी। उन्होंने आपातकालीन एम्बूलेंस, चिकित्सा परामर्श हेतु संचालित टोल फ्री नम्बर 104 अथवा 108 के सही इस्तेमाल करने पर विशेष बल दिया। साथ ही उन्होंने सी-सेक्शन प्रसव की स्थिति में सीएचसी व जिला अस्पताल की यशोदाओं में परस्पर समन्वय स्थापित करते हुये लाभार्थी को बेहतर स्वास्थ्य सेवायें प्रदान किये जाने की आवश्यकता प्रतिपादित की।
राज्य सलाहकार देवेन्द्र ने प्रदेश में मां के दूध से वंचित बच्चों को मां का दूध उपलब्ध कराने हेतु संचालित आंचल मदर मिल्क बैंक के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने चिकित्सालयों में संचालित अमृत कक्ष में माताओं को आवश्यक परामर्श देने पर बल दिया।
निदेशक आरसीएच डा. एसएम मित्तल ने मातृ-स्वास्थ्य सेवाओं में यशोदा की भूमिका पर चर्चा की। यूनिसेफ के डा. अनिल अग्रवाल, निपी के डा. प्रदीप चौधरी ने तकनीकी सत्रों में प्रसव के दौरान एवं नजवात देखभाल के दौरान आवश्यक जानकारियां दीं।
इस सम्मेलन में अतिरिक्त निदेशक आरसीएच डा. ओपी थाकन, परियोजना निदेशक शिशु स्वास्थ्य डा. रोमेल, परियोजना निदेशक आरबीएसके डा. सुआलाल सहित संबंधित अधिकारीगण उपस्थित थे।
'बहुत सकून मिला है', अंसारी की मौत के बाद पीड़िता का बयान
बिहार महागठबंधन में सीट बंटवारे पर सहमति बनी: RJD 26 ,कांग्रेस 9 सीटों पर चुनाव लड़ेगी
धमकी देने वाली कॉल के संबंध में दूरसंचार विभाग ने जारी की एडवाइजरी
Daily Horoscope