जयपुर। रवीन्द्र मंच के मिनी थिएटर में फ्राइडे थिएटर के तहत नाटक ‘खांचे’ का मंचन हुआ। यह नाटक अरु स्वाति व्यास के निर्देशन में खेला गया। नाटक में विनायक आचार्य मुख्य पात्र हैं। विनायक बचपन से ही अनुशासित, पढ़ाई में तेज और हमेशा दूसरों की चिंता करता है। दोस्तों के साथ खेलने, पतंग उड़ाने, होली खेलने की इच्छा को किसी जरूरी काम के चलते हमेशा से मारता है और इन सारी इच्छाओं को अपनी डायरी में लिखता रहता है। विनायक आचार्य को यह लगता है कि जिंदगी के जरूरी काम करने के बाद एक दिन सारी इच्छाएं पूरी करूंगा, पर जिंदगी के उन जरूरी कामों की फेहरिस्त बढ़ती ही रहती है और विनायक, जीवन घाणी में कोल्हू के बैल की तरह चक्कर लगाता है। इस चक्कर में कब जीवन उसके हाथ से रेत की तरह फिसल गया उसे पता ही नहीं चलता है और जिंदगी के आखिरी एक्ट में उसे ये महसूस होता है कि जरूरी तो वो बचपन के खेल, मस्ती, शैतानियां और दोस्तों के साथ गुजारे गए पल थे। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
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