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जयपुर। राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे अगला विधानसभा चुनाव जीतने के लिए जी-तोड़ कोशिश कर रही हैं। इसके लिए वे हर दांव खेल रही हैं। इन दांवपेंचों में कार्यकर्ताओं-अफसर-कर्मचारियों को खुश करने से लेकर जनता की नाराजगी को दूर करने के प्रयास किए जा रहे हैं। इनमें सरकार ने सबसे पहले तबादलों पर लगी रोक हटाई है। इसके अलावा पांच जिलों में कार्यकर्ताओं की जिला अभियोग एवं निराकरण समिति में राजनीतिक नियुक्तियां की हैं।
भारतीय जनता पार्टी कैडर बेस पार्टी है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने लोकसभा और इसके बाद हुए राज्यों के विधानसभा चुनावों में भाजपा का कैडर मजबूत करने का काम किया है। राजस्थान में भाजपा का कैडर तो मजबूत है लेकिन कार्यकर्ता नाराज हैं। जनता ने भी अलवर, अजमेर और मांडलगढ़ में कांग्रेस को जीता कर अपनी नाराजगी जाहिर कर दी है। इसके बाद भाजपा के केन्द्रीय मुख्यालय ने तेजी दिखाई। कारण खोजे गए तो सबसे बड़ा कारण कार्यकर्ताओं की नाराजगी होना सामने आया। इसके अलावा कुछ राजनीतिक और जातिगण समीकरण भी बिगड़े हुए है।
तबादला खोलने की मांग सबसे बड़ी थी
उपचुनाव में हार के बाद जो समीक्षा हुई उसमें कार्यकर्ताओं के काम नहीं होना पाया गया। सरकार के मंत्रियों में कार्यकर्ताओं की पूछ नहीं थी। मंत्री विधायकों की भी नहीं सुनते थे। सरकार में उनका बहुत कम प्रतिनिधित्व होना पाया गया। इसे सुधारते बजट सत्र के बाद तबादलों से प्रतिबंध हटा लिया गया है।
किरोड़ीलाल को भाजपा में लाया गया
उत्तर-पूर्वी राजस्थान की 10 विधानसभा सीटों पर अपना प्रभाव रखने वाले राजपा के नेता डा. किरोडीलाल की नाराजगी दूर की गई। उन्हें भाजपा में लाया गया जिससे मीणा मतों का झुकाव भाजपा की तरफ हो सके।
सैनी को राज्यसभा में भेेजा
राजस्थान विधानसभा की लगभग 35 सीटों पर अपना प्रभाव रखने वाले माली समाज के मतदाताओं को कांग्रेस से अपनी तरफ खींचने के लिए भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधायक मदनलाल सैनी को राज्यसभा में भेजा जा रहा है।
जिला सर्तकता समिति की बैठकों में नियुक्ति
जिला अभियोग एवं निराकरण समिति में सदस्यों की नियुक्ति भी शुरू कर दी गई है। राज्य सरकार ने सोमवार को ही जयपुर, दौसा, सीकर, डूंगरपुर और बूंदी में भाजपा के कार्यकर्ताओं को समिति में सदस्य बनाया गया है।
जनता नकार चुकी है-डूडी
इन सबके बीच राज्य विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता रामेश्वर डूडी का कहना है कि राजे जीतने के लिए जो चाहे दांव खेल ले लेकिन इसका कोई खास असर नहीं होगा। इससे हो सकता है भाजपा के कार्यकर्ता जरूर कुछ दिन के लिए खुश हो जाए लेकिन जनता भाजपा को नकार चुकी है। उपचुनाव के परिणाम ने दिखा दिया है।
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