जयपुर। अशोक मलिक ने राजस्थान राज्य सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक अर्ज़ी दाखिल की है। यह अर्ज़ी नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेश पर लगे जुर्माने के रुकने के आदेश को रद्द करने के लिए दायर की गई है। एनजीटी ने यह आदेश 15 सितंबर 2022 को जारी किया था और सुप्रीम कोर्ट ने 16 दिसंबर 2022 को इस पर रोक लगा दी थी।
यह स्पष्ट करना ज़रूरी है कि सुप्रीम कोर्ट ने एनजीटी के आदेशों के दंड संबंधी घटक पर ही रोक लगाई थी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को चेतावनी भी दी थी कि वे राजस्थान में ठोस और तरल अपशिष्ट (सीवेज) के उचित प्रबंधन के लिए एनजीटी के निर्देशों का पालन करें। मगर, राज्य सरकार अब तक ठोस और तरल कचरे के प्रबंधन के लिए कोई उचित कदम उठाने में विफल रही है।
एनजीटी ने 15 सितंबर 2022 को ठोस और तरल कचरे के गलत प्रबंधन के लिए राज्य पर 3000 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
सुप्रीम कोर्ट ने 16 दिसंबर 2022 को इस जुर्माने पर रोक लगा दी थी। अब अशोक मलिक ने सिविल अपील 9321/2022 में एक अर्ज़ी दायर कर आरोप लगाया है कि राज्य सरकार एनजीटी के निर्देशों का पालन करने में विफल रही है। उन्होंने कहा कि जयपुर नगर निगम और राज्य के अन्य प्राधिकरण रोक के आदेश का दुरुपयोग कर रहे हैं।
यह मामला तब सामने आया जब मूल अर्ज़ी अशोक मलिक बनाम जयपुर नगर निगम के तहत एनजीटी के आदेश पर आरएसपीसीबी ने जयपुर नगर निगम पर 8 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था।
इस पर जयपुर नगर निगम के आयुक्त ने जवाब दिया कि मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित होने के कारण वह कोई जुर्माना देने के लिए बाध्य नहीं है। इसके बाद अशोक मलिक ने अब सुप्रीम कोर्ट में रोक हटाने के लिए अर्ज़ी दायर की है।
उन्होंने जयपुर और अजमेर की तस्वीरें भी अदालत को सौंपी हैं, जो उनका दावा है कि नगर निकायों की कार्यशैली के बारे में पर्याप्त जानकारी देती हैं। जयपुर नगर निगम सिर्फ 8 करोड़ रुपये के जुर्माने से बचने के लिए रोक के आदेश का हवाला दे रहा है।
अब अगर सुप्रीम कोर्ट जुर्माने वाली रोक हटा लेता है तो राज्य को सिर्फ उचित ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए 3000 करोड़ रुपए की भारी राशि आरक्षित करनी होगी, जो राज्य के वित्त पर भारी बोझ डाल सकती है। अगर सुप्रीम कोर्ट एनजीटी के आदेश के जुर्माने वाले घटक से रोक हटा लेता है, तो राज्य को राजस्थान में उचित ठोस अपशिष्ट प्रबंधन प्रथाओं के लिए 3000 करोड़ रुपये का भारी जुर्माना देना होगा।
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