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यूजीसी पर आधारित है सोशल मीडिया : रावत

Social media is based on UGC: Rawat - Jaipur News in Hindi

-विश्वास कुमार स्मृति व्याख्यान माला

जयपुर।
पत्रकारिता में सोशल मीडिया का प्रभाव गहरा होता जा रहा है। आज यूजर्स गाइडेड कंटेंट पर आधारित सोशल मीडिया का सीधा प्रभाव आमजन पर पड़ रहा है।
यह विचार प्रो नीरज रावत ने गुरूवार को पिंक सिटी प्रेस क्लब में पत्रकार विश्वास कुमार की स्मृति में पत्रकारिता में सोशल मीडिया का प्रभाव विशय पर आयोजित व्याख्यान माला में व्यक्त किए। रावत ने कहा कि तकनीक के विकास ने पूरी पत्रकारिता प्रणाली का बदल दिया है और किसी भी बदलाव में जहां सुधार होते है, वहीं बुराईयां भी आती है। उन्होंन कहा कि सोशल मीडिया जनसंचार का माध्यम है। इसमें खबरों का आदान प्रदान सुगमता से होता है और वर्तमान में यह लोगों को जागृत रखता है। उन्होंने कहा कि स्थापित प्रत्रकारिता को हमेशा से परेशानी होती रही है। दो दशक पहले इलेक्ट्रोनिंक मीडिया के आने पर प्रिंट पर प्रभाव पड़ने की बात कही जा रही थी, अब सोशल मीडिया के आने पर भी यहीं कहा जा रहा है। इसके विपरीत मीडिया अपने सभी माध्यम पर बरकरार है।
पूर्व सूचना आयुक्त और पत्रकार नारायण बारेठ ने कहा कि कोविड जैसे संकट के समय सोशल मीडिया हावी रहा, अखबार कम हुए, लेकिन लड़खड़ाए नहीं। पश्चिमी देशांे में अखबारों को ज्यादा चुनौती का सामना करना पड़ा। इस दौरान कई स्थापित समूहो में संकट के बादल भी छाए। उन्होंने कहा कि भारत को पत्रकारिता महात्मा गांधी, बाल गंगाधर तिलक और भगत सिंह से विरासत में मिली है। इसे हमेशा प्रमाणित माना जाता रहा है। जबकि सोशल मीडिया लोगों की सोच को दूशित कर रहा है। धर्म के नाम पर जहां करूणा बढ़नी चाहिए, वहीं सोशल मीडिया से क्रूरता बढ़ रही है। सोशल मीडिया ने इंसान को हिंसा का भाव दिया है। बारेठ ने कहा कि डिजीटल मीडिया ने अखबारों के विज्ञापन में भी सेंध लगाई है। सरकारी नीतियों में भी पत्रकारिता को कम करके आंका जा रहा है।
सच बेधड़क के संपादक मनोज माथुर ने कहा कि पत्रकार को विश्वसनीय होना चाहिए, यह बात हमने विश्वास कुमार से सीखी है। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया से अखबारों में सोचने का तरीका बदल रहा है, क्योंकि वर्तमान में ज्यादातर सूचनाओं को आधार सोशल मीडिया बन गया है। इससे पत्रकारों में ग्राउंड रिपोर्टिंग और मेहनत करने की प्रवृति कम होती जा रही है। इसको देखते हुए अखबारों को इस विधा के लिए अपने आपको नए सिरे से तैयार करने की जरूरत है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए पत्रकार राजेन्द्र बोडा ने कहा कि इस विशय पर पत्रकारों की चिंता और चर्चा करना आशाजनक है। ऐसी चर्चाएं समय-समय पर होनी चाहिए। उन्होंने सोशल मीडिया के बढ़ते हुए प्रभाव पर चिंता जताते हुए कहा कि इसकी प्रमाणिकता पर सवाल उठते रहे हैं। इसके उपयोग को लेकर आमजन को सजग होने की जरूरत है।
कार्यक्रम का संचालन पत्रकार जगदीश शर्मा ने किया, उन्होंने विशय को वर्तमान परिपेक्ष्य में सार्थक बताते हुए इस पर विचार करने की बात कही। अंत में कार्यक्रम संयोजक सुनीता चतुर्वेदी ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि सोशल मीडिया आजकल व्यापा अभिव्यक्ति का माध्यम बन गया है, इसमें सकारात्मक और नकारात्मक दोनों ही तरह के विचार लोगों के सामने आते है, लेकिन इससे स्थापित पत्रकारिता को कोई चनौती नहीं है।

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