जयपुर। आजादी का अमृत महोत्सव के तहत जवाहर कला केंद्र (जेकेके) के रंगायन सभागार में शुक्रवार शाम को आयाम संस्था द्वारा इतालवी लेखक कार्लो गोल्दोनी के मशहूर नाटक ए सर्वेंट ऑफ टू मास्टर्स का हिन्दी रूपान्तरण ‘एक फूल दो मालिक’ प्रस्तुत किया गया। इस नाटक का रूपान्तरण और निर्देशन रंगकर्मी संदीप लेले ने किया है। यह आयोजन जेकेके द्वारा पाक्षिक नाट्य योजना के तहत किया गया। गोल्दोनी के इस नाटक में प्यार में डूबे जोड़े हैं। जिनके प्यार की कहानी आपस में उलझ कर और भी हास्यजनक हालत पैदा करती है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
'एक झूठ कभी कभी सौ झूठ बुलवाता है और सिर्फ मजे के लिए झूठ बोलने वाला इंसान कैसे उसमें फँसता चला जाता है...लेखक कार्लो गोल्दोनी ने आज से तीन सौ साल पहले इसी सबक के चारों तरफ इस बेहद मजेदार सिचुएशनल कामदी की रचना की थी जो आज तक विश्व भर में अनेक भाषाओं में अपने हास्य और सबक के लिए सफलतापूर्वक खेली जा रही है। नाटक में एक एक्सीडेंट के कारण मारे गए कर्नल करमचंद दण्डपाणी की बहन सुजाता अपने प्रेमी अजय पर लगे कर्नल की हत्या के आरोप को झूठा साबित करने और अजय को ढूंढने उस शहर में आती है जहां उसके भाई का कर्जदार गेंदासिंह रहता है। जिसकी बेटी निम्मी की सगाई कर्नल से बचपन में ही तय हो गयी थी। लेकिन कर्नल की मृत्यु की ख़बर सुनकर गेंदासिंह ने निम्मी और उसके प्रेमी बच्चू को शादी करने की इजाज़त दे दी थी। लेकिन सगाई वाले दिन सुजाता अपने भाई कर्नल के भेस में अपने वफादार नौकर बहादुर के साथ गेंदासिंह के घर अपने 20 लाख रूपए लेने पहुंच जाती है और मरे हुए कर्नल को जिंदा देख कर सबके होश उड़ जाते हैं। संयोगवश सुजाता और फ़रारी काट रहा अजय एक ही लॉज में रुके हैं और दोनों का एक ही नौकर “बहादुर”। खाने का शौक़ीन बहादुर ज्यादा कमाने के लालच में दोनों की नौकरी स्वीकार कर देता है, और उसकी बेवकूफ़ी की वजह से अजय और सुजाता मिल जाते हैं।नाटक के अंत में निम्मी को उसका प्यार मिल जाता है और बहादुर को भी चंपाकली। साथ ही बहादुर को यह ज्ञान भी कि उसकी असली भूख भोजन की नहीं, प्यार की थी।
नाटक में प्रस्तुति देने वाले कलाकारों में प्रकाश दायमा, विनोद सोनी, पल्लवी कटारिया, विपुल वशिष्ठ, सक्षम तिवारी, रीतु शुक्ला, कुणाल, महिमा मल्होत्रा, मनीष धाभाई और संदीप लेले शामिल थे। इनके साथ ही कला व सेट की व्यवस्था अंकित सेन ने, प्रकाश व्यवस्था शहजोर अली ने और मेकअप रवि बांका द्वारा किया गया। इसके अलावा संगीत राकेश दीक्षित और विशाल ने दिया।
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