रुडसिको नहीं लगा पाई कंसलटेंट, चहेती फर्म को काम नहीं मिला तो कैंसल किए टेंडर ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गृह क्षेत्र जोधपुर समेत राज्य के 29 शहरों में सीवरेज और सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाने जैसे काम अभी नहीं होंगे। यह प्रोजेक्ट वर्ष 2021 में मंजूर हुआ था। कार्य़कारी एजेंसी रुडसिको एक साल में भी प्रोजेक्ट डवलपमेंट एंड मैनेजमेंट कंसलटेंट (पीडीएमएसी) तक नियुक्त नहीं कर पाई है। चहेती फर्म को ठेका नहीं मिल पाने की वजह से करीब 6 माह की मशक्कत के बाद अब टेंडर ही कैंसल करने पड़े हैं। नए टेंडर कब तक होंगे, इस बारे में अभी कुछ तय नहीं है। जाहिर यह प्रोजेक्ट गहलोत सरकार के कार्यकाल में पूरा हो पाना संभव नहीं है।
नगरीय विकास एवं स्वायत्त शासन विभाग के सूत्रों के मुताबिक राज्य के 29 शहरों में सीवरेज और ठोस कचरा प्रबंधन के काम कराने के लिए रुडसिको ने 28 जुलाई, 2022 को पीडीएमसी अपाइंट करने के लिए टेंडर निकाला था। इस टेंडर में करीब 6 फर्में आईं। इनमें 5 फर्में ही क्वालिफाई कर पाईं थीं। प्री-बिड मीटिंग के दौरान इस टेंडर में आई फर्मों के प्रतिनिधियों ने इस बात पर कड़ी आपत्ति जताई कि टेंडर में अनुभव, अमानत राशि जैसी कई शर्तें किसी फर्म विशेष को फायदा पहुंचाने के उद्देश्य बनाई गई हैं। इन शर्तों को लेकर निविदादाताओं में इस कदर आक्रोश व्याप्त था कि उन्होंने विभिन्न स्तरों पर शिकायतें करना शुरू कर दिया। बताया जा रहा है कि रुडसिको नगरीय विकास एवं स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल की चहेती कंसलटेंसी फर्म को फायदा पहुंचाना चाहती थी। जब उसे टेंडर मिलना संभव नहीं हुआ तो कैंसल करवा दिया गया।
रुडसिको अधिकारियों के मुताबिक अमरुत फेज द्वितीय योजना के तहत राज्य के 29 शहरों की 100 प्रतिशत आबादी को सीवरेज और ठोस कचरा प्रबंधन के दायरे में लाना है। इसके तहत सीवरेज नेटवर्क बिछाने के साथ ही सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट भी लगाए जाने हैं। ट्रीटेड वाटर (परिशोधित जल) के पुनः उपयोग की व्यवस्था, रेलवे, औद्योगिक क्षेत्र, टैक्सटाइल, लैदर और पावर प्लांट्स जैसे ग्राहक तलाशना जो ट्रीटेड वाटर को खरीद सकें। रेन वाटर हार्वेस्टिंग के साथ ही गंदे पानी को जलाशयों में जाने से रोकने की व्यवस्था भी करनी थी।
इन शहरों में होने हैं सीवरेज संबंधी कामः
अलवर, जोधपुर, सीकर, ब्यावर, भिवाड़ी, नागौर, हनुमानगढ़, उदयपुर, चूरू, गंगापुर सिटी, हिंडौन सिटी, भरतपुर, बारां, सुजानगढ़, बूंदी, चित्तौड़गढ़, जयपुर, उदयपुर, बीकानेर, किशनगढ़, अजमेर, धौलपुर, पाली, भीलवाड़ा, सवाई माधोपुर, श्रीगंगानगर, कोटा, झालावाड़, झुंझुनूं।
पीडीएमसी की जरूरत क्योंः
स्वायत्त शासन निदेशालय के सूत्रों के मुताबिक नगरीय निकायों के पास इस तरह के काम की एक्सपर्टीज नहीं है। इसलिए प्रोजेक्ट डवलपमेंट एंड मैनेजमेंट कंसल्टेंट (पीडीएमसी) की जरूरत पड़ती है। यह सलाहकार प्रोजेक्ट की डीपीआर बनाने से लेकर क्वालिटी कंट्रोल और मैनेजमेंट तक संभालते हैं ताकि प्रोजेक्ट समय पर पूरा हो सके।
इनका कहना हैः
पीडीएमसी का टेंडर कैंसल कर दिया गया है। इसमें 6 कंपनियां आईं थीं। लेकिन, 5 ही क्वालिफाई कर पाईं। टेंडर को इसलिए कैंसल किया गया है क्योंकि यह टाइम बाड (अवधि पार) हो गया था। अब जल्दी ही नए टेंडर किए जाएंगे। संभवतः इसी महीने हो जाने चाहिए। इस टेंडर की शर्तों आदि की मुझे जानकारी नहीं है, क्योंकि यह टेंडर मेरे यहां आने से पहले ही हो गए थे।
- अरुण व्यास, चीफ इंजीनियर रुडसिको
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