जयपुर। दुनिया का भव्यतम साहित्यिक उत्सव, जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल अपने बहु-प्रतीक्षित 13वें संस्करण के साथ तैयार है। जिसका आयोजन 23 से 27 जनवरी 2020 को किया जायेगा। इस साल का मुख्य फोकस ‘वीमेन अनइंटरप्टेड’ के माध्यम से महिलाओं के जीवन के कई बेजोड़ पक्षों पर किया जाएगा। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
इस विशाल वैश्विक साहित्यिक फेस्टिवल में हिंदी की दो लोकप्रिय और प्रेरक लेखिकाएं अपने काम और उसके माध्यम से धीरे-धीरे महिलाओं की आवाज़ के लिए तैयार की गई पृष्ठभूमि पर चर्चा करेंगी। बहुत से पुरस्कारों से सम्मानित और तीस से अधिक किताब लिखने वाली लेखिका चित्रा मुद्गल ने अपने बेहतरीन काम के माध्यम से कई पीढ़ियों के दिलों की छुआ है। अपने उपन्यास आवां के लिए प्रतिष्ठित व्यास सम्मान हासिल करने वाली वो पहली भारतीय महिला लेखिका हैं। इस उपन्यास के लिए उन्हें साहित्य अकादेमी अवार्ड से भी पुरस्कृत किया गया था। हमारी दूसरी लेखिका हैं, अपने अनेकों काव्य-सग्रह और उपन्यासों के लिए ढेरों सम्मान हासिल करने वाली, लोकप्रिय लेखिका अनामिका, उनकी कविताएं लोक परम्परा और बागी भक्त कवियों की उपमाओं से प्रभावित रही हैं। “एक ज़मीन अपनी: राइटिंग द फेमिनिन” सत्र में चित्र मुद्गल और अनामिका से संवाद करेंगी द क्विंट की ओपिनियन एडिटर निष्ठा गौतम। निष्ठा उनसे उनके काम, उनकी सोच और लेखन की चुनौतियों पर चर्चा करेंगी।
एक महिला का काम कभी ख़त्म नहीं होता, लेकिन धीरे-धीरे कार्यस्थलों पर भारतीय महिलाओं की भागीदारी कम होती जा रही है, जबकि बाकी दुनिया में ये आंकड़ा बढ़ रहा है। महिलाओं और उनके काम पर एक तथ्यात्मक दृष्टी और वर्तमान वास्तविकताओं का मूल्यांकन, अर्थव्यवस्था में महिलाओं की भागीदारी विशेष रूप से हमारे प्रोग्राम का हिस्सा है। भिन्न पृष्ठभूमियों से आई महिलाओं का एक पैनल, जिसमें आइकोनिक शेफ अस्मा खान, एक्स-मरीन अनुराधा भगवती, एक सामाजिक उद्यमी अमिता निगम सहाय और ग्रामीण कार्यकर्त्ता नमिता विकर, पत्रकार नमिता भंडारी से बात करके ‘महिलाएं और काम’ पर अपना दृष्टिकोण साझा करेंगी। सत्र महिलाओं के कार्यस्थल में आने वाली बाधाओं और परिणाम पर केन्द्रित होगा।
कोई लेखन में महिलाओं की ज़िन्दगी कैसे दर्शा सकता है? एक महिला की जीवनी किसी आदमी की जीवनी से कैसे अलग होती है? जीवनीकार बेट्नी ह्यू, बेंजामिन मोसेर, युंग चांग, लिंडसे हिल्सुम और हैली रुबेनहोल्ड महिलाओं के जीवन को पन्नों पर उतारने की चुनौतियों पर चर्चा करेंगे। उनके साथ संवाद करेंगी पत्रकार अनीता आनंद।
पुरस्कृत लेखक फ्रैंक डीकोटर और युंग चांग उन तीन असाधारण महिलाओं के जीवन पर रौशनी डालेंगी, जिन्होंने बीसवीं सदी के चीन को आकार दियाद्य जब देश सौ साल के युद्ध, क्रांति और तीव्र रूपांतरण से गुजर रहा था, तब शंघाई की तीन सुंग बहनें सत्ता का केंद्र थीं, और उन तीनों ने ही इतिहास पर अपनी अमिट छाप छोड़ी। तीनों बहनों ने अपने विशेषाधिकारों का भरपूर प्रयोग, लेकिन साथ ही नश्वर संकट के सामने भी अडिग खड़ी रहीं। उन्होंने असीम साहस दिखाया और जुनूनी प्यार का भी अनुभव किया, साथ ही वो निराशा और दिल टूटने के दौर से भी गुजरीं, वो भावनात्मक रूप से जुड़ी रहीं, हालांकि उन्होंने विपरीत राजनैतिक दलों का साथ दिया।
सूसन सानटाग अमेरिका की महान साहित्यिक हस्तियों में से एक रहीं। उनका विशिष्ट दिमाग, राजनैतिक सक्रियता और असाधारण छवि लोगों को लुभाती है। कला और राजनीति, नारीवाद और समलैंगिकता, सेलिब्रिटी और स्टाइल, दवाइयां और ड्रग, फासीवाद, साम्यवाद और अमेरिकीवाद पर उनका लेखन आधुनिकता की जटिल परिभाषा प्रस्तुत करता है। ब्राज़ील के फर्स्ट स्टेट प्राइज के विजेता बेंजामिन मोसेर प्रकाशक चिकी सरकार से बात करते हुए उनकी कहानी बताने की कोशिश करेंगे।
भारत में कदम रखने वाली पहली ब्रिटिश महिलाएं सतरहवीं सदी की शुरुआत में आई थींद्य ये ब्रिटिश राज से भी ढाई सदी पहले की बात है। महिलाओं ने भारत का रुख उन्हीं कारणों से किया था, जिस वजह से पुरुष आए थे, अपनी जिन्दगी को और बेहतर बनाने के लिए, पत्नियों, दरबारी और महिला-व्यापारी के तौर पर इन महिलाओं ने भी उसी साहसिक सफर को तय किया जिसे पुरुष करते हैं। भारत के लिए शुरू किया गया उनका सफर अनजान सागर में लगाई गई उनकी रोमांचक छलांग थी।
फेस्टिवल के प्रमुख सत्र “शी-मर्चेंट बकनीर एंड जेंटलवीमेन: ब्रिटिश वीमेन इन इंडिया”, में प्रसिद्ध इतिहासकार कैटी हिकमैन इतिहास में छिपी इन कहानियों को सामने लाएंगी। डायरियों, खतों और संस्मरण के रूप में लिखी इन कहानियों में से अनेक तो अभी भी पाण्डुलिपि के रूप में ही हैं। कैटी की किताब में इन महिलाओं की असाधारण जिंदगियों के पन्ने पलटे गए हैं।
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