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विज्ञान एवं कठिन परिश्रम आत्मनिर्भर भारत की कुंजी

Science and hard work are the key to self-reliant India - Jaipur News in Hindi

जयपुर। प्रदेश के विज्ञान एवं प्रौेद्योगिकी विभाग की शासन सचिव मुग्धा सिन्हा ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के लिये हमें पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम के द्वारा बताये गये विज्ञान और कठिन परिश्रम के रास्ते पर चलना होगा। यही आत्मनिर्भर भारत की कुंजी साबित होगी। उन्होंने कहा कि डॉ. कलाम का यह विचार ‘‘चिन्तन पूँजी है, उद्यम रास्ता है, कठिन परिश्रम समाधान है’’ आज भी समीचीन है।

सिन्हा ने राजस्थान स्ट्राइड वर्चुअल कॉन्क्लेव के दूसरे दिन कहा कि हमें आमजन की आवश्यकताओं को समझ कर उन्हें वैश्विक मापदण्डों के अनुसार सुलभ कराने के लिये लगातार कार्य करना होगा। इसके लिये वैज्ञानिक चिन्तन करते हुये उद्यम स्थापित करना ही स्टार्ट अप है। उन्होेंने कहा कि आज का युवा रूढिवादी उद्यमशीलता से बाहर निकलते हुये नवीन व्यावसायिक क्षेत्रों में नये आयाम बनाने के लिये लगातार कार्य कर रहा है, हमें इनकी उर्जा को बढ़ावा देने के लिये कार्य करना होगा।

बायोटेक कॉन्सॉर्टियम इंडिया लिमिटेड;प्रबंध निदेशक डॉ. पूर्णिमा शर्मा ने वर्चुअल कान्क्लेव को संबोधित करते हुये कहा कि भारत सरकार का यह उपक्रम विद्यार्थियों में नवाचारोंं को बढ़ावा देने के साथ-साथ उन्हें स्टार्ट अप के लिये प्रेरित कर रहा है तथा उनमेंं उद्यमशीलता के विकास के लिये आवश्यक मदद उपलब्ध करा रहा है। उन्होंने कहा कि यदि युवा उर्जा के जज्बे को सही समय पर रास्ता और मदद मिले तो भारत के नवनिर्माण को नये पंख मिल सकते हैं।

प्रोफेसर डॉ. मधुरा यादव निदेशक, स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर एंड डिजाइन, मणिपाल विश्वविद्यालय, जयपुर ने लोगों के जीवन में सुधार लाने के लिए भविष्य के स्मार्ट गांव को डिजाइन करने के दृष्टिकोण से अवगत कराते हुये कहा कि भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में शहरी सुविधाएं प्रदान करने की आवश्यकता पर जोर दिया था। उन्होंने कहा कि मूल ग्रामीण बस्तियों को सशक्त बनाने, लोगों को प्रेरित करने और प्रवास को रोकने से शहरीकरण से उत्पन्न होने वाली समस्याओं से छुटकारा मिलने के साथ-साथ स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजित कर अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान की जा सकती है।

ड्रोन फेडरेशन ऑफ इंडिया के निदेशक स्मित शाह ने मानवरहित हवाई प्रणाली के बारे में बात की, जिसे ड्रोन के नाम से जाना जाता है। उन्होंने बताया कि ड्रोन फैडरेशन ऑफ इण्डिया (डीएफआई) भारत में ड्रोन उद्योग के लिए एक स्थायी पारिस्थितिकी तंत्र बनाने की दिशा में काम करने वाली एक उद्योग की अगुवाई वाली संस्था है। उन्होंने कहा कि बदलती तकनीकी तथा आवश्यकताओं के अनुसार प्रशासन, पुलिस, रेलवे, खनन, कृशि कार्य, सेवा प्रदाता क्षेत्र में ड्रोन तकनीक का तेजी से उपयोग बढ़ रहा है।


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