जयपुर। त्रिवेणीधाम के संत नारायणदासजी महाराज को पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया। संत नारायणदास को यह सम्मान नई दिल्ली में राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने प्रदान किया। संत को यह सम्मान अध्यात्म के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए प्रदान किया गया। संत नारायणदासजी ने जगद्गुरु रामानंदाचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय भवन निर्माण कराकर सरकार के सुपुर्द किया है। इसके अलावा भी उन्होंने कई पुराने मंदिरों का जीर्णोंद्धार करवाया। स्कूल, कॉलेज खुलवाए और अस्पतालों का निर्माण करवाया है। इसके अलावा कई जगह सामाजिक हित के कार्यों में अपना योगदान दिया।
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संत नारायणदासजी को पद्मश्री मिलने से संत समाज में खुशी का माहौल है। संतों का कहना है कि इससे संत समाज सहित अन्य लोगों को बढ़-चढ़कर सामाजिक कार्यों में हिस्सा लेने की प्रेरणा मिलती रहेगी।
राष्ट्रपति ने इनके अलावा 73 लोगों को पद्मश्री से नवाजा है। नारायणदासजी महाराज जयपुर में शाहपुरा के पास स्थित त्रिवेणी धाम के पीठीधीश्वर हैं, साथ ही गुजरात के डाकोर धाम के ब्रह्मपीठाधीश्वर की गद्दी पर भी महंत आसीन हैं।
माता पिता ने 6 साल की उम्र में ही सौंप दिया था गुरु को
संत नारायण दास महाराज को उनके माता पिता ने छह साल की उम्र में भगवान दास महाराज की शरण में दे दिया था। नारायणदास अपने गुरू की दिन रात सेवा करते थे। उन्होंने गुरू से दीक्षा ली और भगवान की सेवा में लग गए। संत नारायण दास जी महाराज का जन्म दिवस समूचे राजस्थान में अश्विनी माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी को धूम-धाम से मनाया जाता है।
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