गिरिराज अग्रवाल
जयपुर।
प्रदेश के पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट लंबे इंतजार के बाद आरपार की
लड़ाई के मूड में खुलकर सामने आ गए हैं। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधराराजे
सरकार के भ्रष्टाचार के मामलों की जांच नहीं कराए जाने के बहाने उन्होंने
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। इस कड़ी में उन्होंने
मंगलवार 11 मार्च को जयपुर में शहीद स्मारक पर एक दिन का अनशन भी किया।
आगे की रणनीति का हालांकि उन्होंने अभी खुलासा नहीं किया है। लेकिन, माना
जा रहा है कि वे कांग्रेस का हाथ छोड़ने की भूमिका बना रहे हैं। वे चाहते
हैं कि पार्टी उन्हें बर्खास्त करे औऱ पार्टी के कुछ नेता चाहते हैं कि वे
खुद पार्टी छोड़कर जाएं। इस बीच, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व
मुख्यमंत्री वसुंधराराजे पायलट के हर कदम पर पैनी नजर बनाए हुए हैं। लेकिन,
पायलट के अनशन पर अभी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का बयान सामने नहीं आया है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
कांग्रेस
के अंदर केवल राजस्थान ही नहीं बल्कि हरियाणा समेत कई राज्यों में असंतोष
उबल रहा है। अब तक कैप्टन अमरिंदर सिंह, चौधरी वीरेंद्र सिंह, राव
इंद्रजीत, ज्योतिरादित्य सिंधिया समेत 25 से ज्यादा नेता कांग्रेस छोड़
चुके हैं। सवाल यह है कि आखिर इतना असंतोष पनप क्यों रहा है। इसका जवाब है
कांग्रेस हाईकमान की संवादहीनता। यानि, पार्टी जिन नेताओं को कमान सौंपती
है, उन्हें ही सब कुछ मान लेती है। उनके विरोधी अथवा अन्य नेताओं की बात
नहीं सुनी जाती। ऐसा ही कुछ सचिन पायलट के साथ हुआ। एक-दो बार पायलट ने
जबरन अपनी बात सुनाने की कोशिश की तो आश्वासन के छींटे मारकर ठंडा कर दिया
गया। लेकिन, अब उनका धैर्य टूट रहा है। क्योंकि विधानसभा चुनाव में 6 माह
से भी कम समय बचा है। ऐसे में वे अपना रास्ता तय नहीं कर पा रहे थे।
हरियाणा में किरण, सैलजा और सुरजेवाला का नया गुटइधर,
हरियाणा में कांग्रेस की कमान पूरी तरह पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह
हुड्डा को सौंपे जाने से वहां के कई कांग्रेसी नेताओं में नाराजगी हैं।
इसलिए पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा, सीएलपी लीडर रह चुकी किरण चौधरी
और राजस्थान से राज्यसभा सांसद रणदीप सुरजेवाला समेत कई नेता हुड्डा के
खिलाफ लामबंद हो रहे हैं। इन लोगों ने हुड्डा से अलग अपने कार्यक्रम बनाने
और करने शुरू कर दिए हैं। आने वाले दिनों में यह असंतोष बढ़ सकता है। कोई
बड़ी बात नहीं है कि वहां भी सचिन पायलट जैसा विरोध खड़ा हो जाए। विरोधी
गुट के नेताओं का आरोप है कि पहले पार्टी हाईकमान में सभी नेताओं की बात
सुनी जाती थी और क्षेत्रीय नेताओं को बराबर का महत्व देकर संतुलन बनाए रखा
जाता था। लेकिन, अब ऐसा नहीं है। सैकंड लाइन वाले नेताओं की तो बात सुनी ही
नहीं जाती है।
हुड्डा का विरोध करके अशोक तंवर को भी छोड़नी पड़ी थी पार्टीराजस्थान
में पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट और हरियाणा में पूर्व प्रदेशाध्यक्ष
अशोक तंवर का मामला बिलकुल एक जैसा है। अशोक तंवर ने भी कांग्रेस सरकार
रहते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खिलाफ मोर्चा खोला
था। अंतिम समय में तो वे खुलकर सामने आ गए थे। आखिर में उन्हें कांग्रेस
छोड़नी पड़ी। अब वे हरियाणा में अपनी राजनीतिक जमीन तलाश रहे हैं। ऐसे ही
हालात कुछ सचिन पायलट के साथ बन रहे हैं। अगर वे कांग्रेस छोड़ते हैं तो
उन्हें अपने लिए नए सिरे से राजनीतिक जमीन तैयार करनी होगी।
अब आगे क्या करेंगे पायलटराजस्थान
की राजनीति में सबसे चर्चित सवाल है कि सचिन पायलट अब आगे क्या करेंगे। वे
कौन सा रास्ता चुनेंगे। कांग्रेस छोड़ कर नई पार्टी बनाएंगे। राष्ट्रीय
लोकतांत्रिक पार्टी के सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल से गठबंधन करेंगे। कांग्रेस
में ही रहकर लड़ाई जारी रखेंगे। आम आदमी पार्टी में जाएंगे। हालांकि सचिन
पायलट ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं। लेकिन, जिन महत्वाकांक्षा को लेकर
पायलट ने गहलोत के खिलाफ मोर्चा खोला है। वैसी अनुकूल परिस्थितियां उनके
लिए केवल आम आदमी पार्टी में ही हैं। अरविंद केजरीवाल के पास इस समय
राजस्थान में कोई चेहरा नहीं है। वही पायलट को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित
कर सकते हैं। वैसे भी आम आदमी पार्टी को अब राष्ट्रीय स्तर की राजनीतिक
पार्टी का दर्जा मिल चुका है। पायलट के लिए यही सम्मानजनक स्थिति होगी।
हालांकि यह भी कहा जा रहा है कि भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व पायलट को
वसुंधराराजे के खिलाफ इस्तेमाल कर रहा है ताकि उन्हें राजस्थान में
मुख्यमंत्री पद की दौड़ से बाहर कर सके। लेकिन, यह तथ्य गले नहीं उतर रहा
है।
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