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आरटीआई एक्ट के 20 साल पूरेः कांग्रेस ने लगाया साल 2014 के बाद से पारदर्शिता पर हमले का आरोप

RTI Act completes 20 years: Congress alleges attack on transparency since 2014 - Jaipur News in Hindi

जयपुर। राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम के 20 वर्ष पूरे होने पर एक संयुक्त वक्तव्य जारी किया है। इस वक्तव्य में कांग्रेस ने आरटीआई को UPA सरकार का ऐतिहासिक कदम बताते हुए, 2014 के बाद से इस कानून और संबंधित संस्थानों पर लगातार हमले होने का गंभीर आरोप लगाया है। कांग्रेस नेताओं ने याद दिलाया कि आरटीआई अधिनियम 12 अक्टूबर 2005 को डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार और सोनिया गांधी के दूरदर्शी नेतृत्व में अस्तित्व में आया था। उन्होंने कहा कि यह कानून नागरिकों को सशक्त बनाकर शासन व्यवस्था को अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनाने के लिए लाया गया था। कांग्रेस ने दावा किया कि आरटीआई समाज के सबसे हाशिए पर बसे लोगों के लिए राशन, पेंशन और छात्रवृत्तियां दिलाने में जीवन रेखा साबित हुई है। कांग्रेस नेताओं ने आरोप लगाया कि 2014 के बाद से आरटीआई को लगातार कमजोर किया जा रहा है। कानून में 2019 के संशोधनों ने सूचना आयोगों की स्वायत्तता को कमजोर किया और केंद्र सरकार को आयुक्तों का कार्यकाल तथा सेवा शर्तें तय करने का अधिकार दे दिया, जिससे कार्यपालिका का प्रभाव बढ़ा। वहीं, 2023 के डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन (DPDP) अधिनियम ने "व्यक्तिगत जानकारी" की परिभाषा का दायरा बहुत बढ़ा दिया है, जिससे सार्वजनिक धन के उपयोग या जनहित से जुड़ी महत्वपूर्ण सूचनाओं का खुलासा रोका जा सकता है।
कांग्रेस ने आरोप लगाया कि केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) आज सबसे कमजोर स्थिति में है, जहाँ 11 स्वीकृत पदों के मुकाबले केवल दो आयुक्त कार्यरत हैं। उन्होंने कहा कि न्यायिक आदेशों के बावजूद केंद्र और राज्यों में सूचना आयुक्तों के पद महीनों तक रिक्त पड़े हैं। जून 2024 तक देश के 29 आयोगों में लगभग 4,05,000 अपीलें और शिकायतें लंबित थीं, जो 2019 की तुलना में लगभग दोगुनी हैं।
व्हिसलब्लोअर्स की सुरक्षा पर चिंताः कांग्रेस ने व्हिसलब्लोअर्स प्रोटेक्शन अधिनियम को लागू न किए जाने पर भी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि यह अधिनियम UPA सरकार द्वारा पेश किया गया था, लेकिन मोदी सरकार के कार्यकाल में इसे न तो लागू किया गया और न ही इसके नियम अधिसूचित किए गए। सुरक्षात्मक तंत्र के अभाव में आरटीआई कार्यकर्ता धमकियों, उत्पीड़न और हिंसक हमलों के प्रति असुरक्षित बने हुए हैं।
कांग्रेस की मुख्य मांगेंः
2019 के संशोधनों को निरस्त कर सूचना आयोगों की स्वतंत्रता बहाल की जाए।
DPDP अधिनियम की धारा 44(3) की समीक्षा और संशोधन किया जाए।
केंद्र और राज्य आयोगों में सभी रिक्तियां तुरंत भरी जाएं।
आयोगों के लिए कार्य निष्पादन मानक तय किए जाएं।
व्हिसलब्लोअर प्रोटेक्शन अधिनियम को पूर्ण रूप से लागू किया जाए।
आयोगों में विविधता (पत्रकारों, कार्यकर्ताओं, महिला प्रतिनिधियों) सुनिश्चित की जाए।

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Web Title-RTI Act completes 20 years: Congress alleges attack on transparency since 2014
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