जयपुर। राइजिंग राजस्थान समिट के दूसरे दिन मंगलवार को एजुरिवॉल्यूशन: शिक्षा एवं अवसर सत्र संपन्न हुआ। सत्र में उप मुख्यमंत्री एवं उच्च एवं तकनीकि शिक्षा मंत्री प्रेमचन्द बैरवा, स्कूल शिक्षा मंत्री मदन दिलावर सहित विभिन्न शिक्षाविद्, शिक्षा व्यवसाय से जुडे उद्योगपति, विभिन्न विभागाधिकारी एवं शिक्षा से जुड़े लोग शामिल हुए। इस दौरान आयोजित शिक्षा विमर्श में वक्ताओं ने शिक्षा के क्षेत्र मे आवश्यक सुधारों, तकनीकि समावेश, व्यासायिक प्रशिक्षण, औधोगिक आवश्यकताओं के अनुसार पाठ्यक्रम निर्धारण आदि पर अपने विचार रखे और उपस्थित श्रोताओं के प्रश्नों के उत्तर दिए।
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उप मुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा ने कहा की राजस्थान गौरवशाली परंपराओं वाला प्रदेश है। यहां के विद्यार्थी देश-विदेश में अपनी प्रतिभा के दम पर राज्य का नाम रोशन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश को अग्रणी राज्य बनाना और शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ाना राइजिंग राजस्थान समिट का एक प्रमुख उद्देश्य है। शिक्षा के क्षेत्र में निवेशकों के साथ विभिन्न एमओयू साइन किए जा रहे हैं जिससे प्रदेश प्रगति एवं समृद्धि के पथ पर आगे बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि शिक्षा एवं अवसरों को जोड़ना एक महत्वपूर्ण कार्य है जिसे इस सत्र के माध्यम से किया जा रहा है। राज्य सरकार इस सत्र में प्राप्त सुझावों को अपनी कार्ययोजना में शामिल कर आवश्यक कार्रवाई करेगी ताकि विकसित राजस्थान के संकल्प को साकार किया जा सके। उन्होंने कहा कि प्रदेश में विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने हेतु राज्य सरकार सभी आवश्यक कदम उठा रही है। अकादमिक एवं व्यवसायिक भागीदारी से ही शिक्षा रोजगारपरक हो सकती है। राज्य सरकार प्रदेश में विश्वस्तरीय उच्च शिक्षा प्रणाली स्थपित कर विद्यार्थियों को लाभान्वित करने के लक्ष्य को आगे बढ़ा रही है। उन्होंने कहा कि राज्य के विद्यार्थियों के पास ज्ञान, कौशल एवं अवसर प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हो और विद्यार्थियों का संपूर्ण विकास हो इस हेतु शिक्षा व्यवस्था में आवश्यक बदलाव किए जा रहे है। शिक्षा के क्षेत्र में राज्य को आगे ले जाने में राज्य सरकार के कार्य मील का पत्थर साबित होंगे। श्री बैरवा ने कहा कि राज्य में नई शिक्षा नीति को लागू करने की दिशा में लगातार कार्य किया जा रहा है। राज्य में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में व्यावसायिक कोर्स शुरू किए गए हैं। साथ ही तकनीकी कोर्स भी मातृभाषा में दिए जा रहे हैं। प्रदेश में फिनिशिंग स्कूल सेंटर स्थापित किए गए हैं। सरकारी कॉलेजों के लिए कायाकल्प योजना के माध्यम से आधुनिक प्रयोगशालाएं, नवीन उपकरण, आधुनिक खेल मैदान सहित गुणवत्तापूर्ण शैक्षिक ढांचे का निर्माण किया जा रहा हैं। नव शिक्षा संस्थानों की स्थापना करने की प्रक्रिया को आसान बनाया गया है।
स्कूल शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने कहा की नई शिक्षा नीति में स्कूली स्तर पर ही व्यवसायिक शिक्षा को शामिल किया गया है। राज्य सरकार तकनीकि कौशल और संस्कारों को शिक्षण में समावेशित करने का कार्य कर रही है। इसी दिशा में बच्चों हेतु बाल वाटिकाओं को राजकीय स्कूलों में चरणबद्ध रूप से शुरू किया जा रहा है। राज्य सरकार के द्वारा प्रदेश में संचालित 65000 विद्यालयों में 80 लाख विधार्थी शिक्षा नि:शुल्क ग्रहण कर रहे हैं। घुमंतू समुदायों के बच्चों को शिक्षित करने हेतु मोबाइल स्कूल की व्यवस्था प्रदेश सरकार करने जा रही है। इसके तहत चलित वाहनों में इन समुदायों के बच्चों को शिक्षा प्रदान की जाएगी।
इस दौरान व्यापार, आर्थिक एवं वाणिज्यिक मामलों के प्रमुख, डेनमार्क दूतावास, नई दिल्ली, सोरेन नोरेलुंड कन्निक-मार्क्वार्डसन, आईआईटी जोधपुर के निदेशक प्रो अविनाश कुमार अग्रवाल, वनस्थली विद्यापीठ के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अभिषेक पारीक, कोर्सेरा के प्रबंध निदेशक राघव गुप्ता, श्नाइडर इलेक्ट्रिक इंडिया के उपाध्यक्ष रमेश झा, उच्च एवं तकनीकि शिक्षा विभाग की शासन सचिव डॉ आरूषी ए मलिक सहित विभिन्न शिक्षाविद, उद्योगपति, विभागाधिकारी और शिक्षा से जुड़े लोग बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
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