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रीको फिनटेक पार्क : कलराज मिश्र, मेनका गांधी, रामचरण बोहरा और दीया कुमारी ने की थी जंगल बचाने की वकालत, क्या अब बचा पाएंगे?

Riico Fintech Park: Kalraj Mishra, Maneka Gandhi, Ramcharan Bohra and Diya Kumari had advocated for saving the forest, will they be able to save it now? - Jaipur News in Hindi

जयपुर। राजधानी जयपुर में टोंक रोड स्थित ढोल का बाढ़ के जिस जंगल को बचाने के लिए राज्यपाल कलराज मिश्र, पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी, सांसद रामचरण बोहरा और उप मुख्यमंत्री दीया कुमारी ने वकालत की थी। क्या अपनी सरकार में अब इस जंगल को बचा पाएंगे? यह राजनीतिक गलियारों में बड़ा सवाल है। दुर्गापुरा, सांगानेर के इस ऑक्सीजन जोन को बचाने के लिए न केवल जयपुर बल्कि देश के कई पर्यावरण प्रेमी और सामाजिक कार्यकर्ता पिछले कई महीनों से आंदोलनरत हैं। मामला कोर्ट तक भी पहुंचा है। दरअसल, रीको के अफसर इंडस्ट्रियल उद्देश्य के लिए अवाप्त की गई इस जमीन पर सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन और अपने उद्देश्यों के विपरीत कामर्शियल प्रोजेक्ट फिनटेक पार्क विकसित कर रहे हैं। इसमें करीब 3000 करोड़ रुपए का घोटाला बताया जा रहा है।
रोचक तथ्य यह है कि फिनटेक पार्क तक जाने का कोई बेहतर रास्ता नहीं है। फिर भी इस प्रोजेक्ट को अमलीजामा पहनाया जा रहा है। इसकी वजह यह है कि रीको के अफसर रास्ता लेने के नाम पर मैन टोंक रोड से सटी जयपुर के एक व्यवसायी के पक्ष में अवाप्तशुदा जमीन के बड़े चंक को छोड़ना चाहते हैं। इसीलिए फिनटेक पार्क प्रोजेक्ट शुरू से विवादों में है।
सूत्रों के मुताबिक रीको के तत्कालीन उच्चाधिकारी और विधि शाखा के एक अधिकारी ने ऐसा खेल रचा कि फिनटेक पार्क में टाउनशिप प्लानिंग के अनिवार्य प्रावधानों का उल्लंघन कर मौके पर सड़क की उपलब्धता ना होते हुए भी योजना का ले आउट प्लान जारी कर दिया। पिछले 5 साल में रीको की छवि ऐसी बना दी गई कि यह औद्योगिक विकास से संबंधित संस्था नहीं होकर कामर्शियल संस्था बन गई है।
हालात ये बने कि हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक मास्टर प्लान के विपरीत औद्योगिक से संस्थानिक और व्यावसायिक गतिविधियों के लिए भू उपयोग परिवर्तन करने पर रीको अफसरों को फटकार तक लगा चुके हैं। अब यहां उद्यमियों के बजाय बैंक, आईटी संस्थाएं, पेट्रोल पंप, होटल और मॉल खोलने के ज्यादा अवसर मिलते हैं।
जानिए, जल्दबाजी में पूर्व महाधिवक्ता से क्यों करवाई पैरवीः
दरअसल, यह मामला फिनटेक पार्क से कम बल्कि इससे सटी 36 एकड़ भूमि जिसकी कीमत करीब 3000 करोड़ रुपए से अधिक है, उससे जुड़ा हुआ है। याचिका संख्या 5146/2016 में हाईकोर्ट ने 20 अप्रैल, 2018 को स्थगन आदेश जारी किया था।
रीको के विधि अधिकारी अजय गुप्ता और महाधिवक्ता पिछले 8 साल से इस स्टे को खारिज करवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना में एक एप्लीकेशन तक नहीं लगा सके। जबकि इसी जमीन से सटी भूमि पर स्टे को तुरंत खारिज करवा दिया गया था।
अब सवाल यह है कि रीको की विधि शाखा के अधिकारी अजय गुप्ता और तत्कालीन उच्चाधिकारियों को आखिर ऐसा क्या लालच आया जो करीब 3000 करोड़ रुपए की जमीन फिनटेक पार्क प्रोजेक्ट के नाम पर जयपुर के एक व्यवसायी के पक्ष में छोड़ना चाहते हैं। वह भी सिर्फ प्रोजेक्ट तक रास्ता लेने के लिए। इसकी गहनता से जांच होनी चाहिए।
रीको क्या अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करेगाः
अब सवाल यह है कि क्या रीको सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करेगा। क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने इस क्षेत्र को इंडस्ट्रियल एरिया ही रखने के आदेश दिए हैं। जबकि रीको यहां व्यावसायिक प्रोजेक्ट ला रहा है। अगर रीको इसे औद्योगिक क्षेत्र मानता है तो क्या यह गुलाबचंद कोठारी की याचिका में दिए गए राजस्थान हाईकोर्ट के आदेशों का उल्लंघन नहीं है। क्योंकि फिनटेक पार्क प्रोजेक्ट दृव्यवती नदी के बफर जोन में आता है। रीको टाउनशिप पॉलिसी के विपरीत जाकर ले आउट अनुमोदन कर रहा है।
फिनटेक पार्क प्रोजेक्ट से बिगड़ेगा पर्यावरण संतुलनः
फिनटेक पार्क प्रोजेक्ट की वजह से मानसरोवर, सांगानेर और दुर्गापुरा समेत जयपुर शहर का पर्यावरण संतुलन बिगड़ेगा। इस तरह की राय फाइल पर वन एवं पर्यावरण विभाग भी दे चुका है और इस प्रोजेक्ट को अन्यत्र ट्रांसफर करने की सिफारिश कर चुका है। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस क्षेत्र से करीब 15000 वाहनों का आवागमन होगा। इससे नोइज और एयर पॉल्यूशन बढ़ेगा।
इस क्षेत्र में करीब 1 करोड़ 20 लाख वर्गफीट का निर्माण होना है। इसके लिए रीको अधिकारियों को किसी अच्छे पर्यावरणविद से राय लेकर पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड से पर्यावरणीय स्वीकृति लेनी चाहिए। साथ ही अनावश्यक लिटिगेशन से बचने के साथ ही जनहित और पर्यावऱण संतुलन को महत्व देते हुए आवासीय कॉलोनियों का नियमन करवाना चाहिए।

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