जयपुर। राइट टू हैल्थ बिल में संशोधन की मांग को लेकर राज्यभर के प्राइवेट अस्पताल संचालक और डॉक्टर रविवार को हड़ताल पर रहे। सभी जिलों में रैलियां निकाली गईं और सरकार की सद्बुद्धि के लिए यज्ञ किए गए। अब सोमवार 20 मार्च को करीब 300- डॉक्टर सुबह 10 बजे सवाई मानसिंह अस्पताल परिसर स्थित जेेएमए भवन में जुटेंगे। इसके बाद वहाँ सभा करने के बाद महारैली के रूप में विधानसभा की ओर कूच करेंगे। इसमें सभी चिकित्सक और चिकित्सा कर्मी मौजूद रहेगें। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
जाइंट एक्शन कमेटी के चेयरमैन डॉ सुनील चुग ने बताया कि स्वास्थ्य का अधिकार संविधान के आर्टिकल 21 के जीवन के अधिकार का अभिन्न अंग है। आजादी के 75 वर्ष बाद भी जनता को यह अधिकार दिए जाने की जगह सिर्फ लीपापोती की जा रही है। सरकार को समझना होगा कि अधिकतर रोगी साफ हवा, स्वच्छ पानी, भोजन, स्वस्थ मन, उचित शिक्षा के अभाव में बीमार होते हैं। इसकी प्रत्यक्ष और परोक्ष जिम्मेदारी राज्य सरकार की है। सरकारी अस्पताल में इलाज निःशुल्क होते हुए भी एक रोगी का निजी अस्पताल में जाना सरकारी सेवाओं में कमी का प्रमाण है। स्वास्थ्य प्राथमिकता क्रम में न होने से सरकार इस क्षेत्र में आवंटन में कमी रखती है। इससे मरीज को उसकी अपेक्षा के अनुरूप सेवाओं हेतु निजी अस्पताल में जाना पड़ता है। यदि सरकार सभी नागरिकों की स्वास्थ्य संबंधी अपेक्षाओं को पूरा कर पाती तो निजी क्षेत्र की आवश्यकता ही क्यों होती।
ज्वाइंट एक्शन कमेटी के मीडिया चेयरमैन डॉ. संजीव गुप्ता ने कहा कि सरकार के सभी आला मंत्री और अधिकारियों द्वारा अपनी स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों के लिए निजी क्षेत्र का रुख करना इस बात का प्रमाण है कि सरकार न सिर्फ जनता, बल्कि अपने मंत्री, अधिकारियों की भी स्वास्थ्य अपेक्षाएं पूरी करने में विफल रही है। सरकार ने अपनी इस विफलता को छिपाने के लिए स्वास्थ्य बीमा योजनाएं शुरू कीं। जिससे सरकार इन्फ्रास्ट्रक्चर पर खर्च किए बिना निजी क्षेत्र की आधारभूत संरचना का उपयोग करके अपनी जिम्मेदारी निभा सके। इसमें भी सरकारी भ्रष्टाचार और सरकार द्वारा उचित बजट आवंटन नहीं किए जाने से अव्यावहारिक दरों के कारण कई अच्छे निजी चिकित्सालयों ने इनमे रुचि नहीं दिखाई है।
अब सरकार राइट टू हैल्थ बिल द्वारा सभी निजी चिकित्सालयों का दोहन करने के लिए बिना वेतन या उचित पुनर्भुगतान के शोषण करना चाहती है।
राज्य की जनता को ये समझना होगा कि अच्छी और विश्व स्तरीय चिकित्सा मुफ्त या सरकारी पेकेज में नहीं मिल सकती। सरकारी दखलंदाजी के बाद तो निजी चिकित्सालयों में भी नही। डॉ. संजीव गुप्ता ने कहा कि इस राइट टू हैल्थ बिल से निजी अस्पताल बंद हो जाएंगे। सरकारी सिस्टम से त्रस्त लोगों को कोई राह नहीं बचेगी। इस प्रकार के इस जन विरोधी और दमनकारी कानून की एक सभ्य समाज में कोई जगह न होने से इंडियन मेडिकल एसोसिएशन और संयुक्त संघर्ष समिति समेत सभी चिकित्सक संगठनों ने इस बिल को वापस लेने का सरकार से आग्रह किया है। सोमवार 20 मार्च को ही आगे के आंदोलन को तेज और उग्र करने की रूपरेखा बनेगी। राज्य व्यापी आंदोलन को तीव्र किया जाएगा।
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