अनकही बातों को कागज पर उतारते रहे काफ्का ये भी पढ़ें - यहां नागमणि से होता है सर्प दंश का इलाज!
यह तथ्य बड़ा दिलचस्प है कि फ्रांत्स काफ्का अपने मन की बात खुलकर अपने पिता से भी कह न सके। दबंगाई पिता के खौफ का
यह आलम रहा कि काफ्का अपनी अनकही मन की बातों को कागज पर उतारते रहे।पिता के नाम पत्र उनकी ऐसी किताब है जो युवा मन के दर्द को कालजयी बना गई। कानूनी दांवपेज जानने वाली एक बीमा कंपनी में काम करने वाले फ्रांत्स काफ्का का स्वभाव अंतर्मुखी था। यही कारण था कि उन्होंने अपनी जीवनकाल में कोई भी पुस्तक को छपने नहीं दिया।
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