जयपुर। 2 अप्रैल को दलित आंदोलन के दौरान भारत बंद में शामिल होने पर निलंबित किए गए सरकारी कार्मिकों को बहाल कर दिया गया है। राज्य सरकार की ओर से इसके आदेश जारी कर दिए गए हैं। राज्य सरकार का यह फैसला चुनाव से पहले दलित वोट्स को अपने पक्ष में करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। कार्मिक विभाग के सचिव भास्कर ए. सावंत की ओर से सभी विभागों के एसीएस और जिला कलेक्टरों को इस संबंध में आदेश जारी कर दिए हैं। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
कार्मिक विभाग के सचिव भास्कर ए. सावंत बहाली के आदेश जारी किए। सरकार ने बंद के दौरान दर्ज मामलों को भी वापस लेने की कार्रवाई शुरू कर दी है। ऐसे प्रकरणों की संख्या ढाई सौ से अधिक है। हालांकि इनमें से कई मामले व्यक्तिगत तौर पर भी दर्ज कराए गए हैं। जिनकी अलग से समीक्षा की जा रही है।
बता दें कि दलित संगठनों ने केंद्र सरकार पर एससी-एसटी एक्ट को कमजोर करने के आरोप लगाते हुए 2 अप्रैल को भारत बंद का आह्वान किया था। इस दौरान प्रदेश के कई जिलों में तोड़फोड़ की घटनाएं हुईं थी। हिंसा और अन्य घटनाओं के चलते राज्य सरकार ने केस दर्ज किए थे। इनमें ग्रामसेवक, पटवारी, कंपाउंडर, शिक्षक और अन्य कर्मचारी शामिल थे। करीब 234 कर्मचारी गिरफ्तार किए गए जिन्हें बाद में निलंबित कर दिया गया था। इसके बाद दलित वर्ग के नेताओं ने लगातार इस मुद्दे को उठाया था।
दलितों के खिलाफ दर्ज मामलों को वापस लेने और कर्मचारी के निलंबन निरस्त करने को लेकर डॉक्टर अंबेडकर मेमोरियल वेलफेयर सोसाइटी के महासचिव रिटायर्ड RPS अनिल कुमार गोठवाल की अगुवाई में एक दल ने सीएम से मुलाकात की थी।
सीएम ने सामाजिक न्याय अधिकारिता विभाग के मंत्री अरुण चतुर्वेदी की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय समिति का गठन किया था। समिति ने पिछले दिनों आंदोलन के दौरान कर्मचारियों को बहाल किए जाने की सिफारिश की थीष इसके बाद मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की मंजूरी के बाद कार्मिक विभाग ने अवकाश का दिन होने के बावजूद रविवार को ये आदेश जारी कर दिए।
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