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राजस्थान देश में दूसरा राज्य: बिजली स्टोर करने की बैटरी व्यवस्था के नियमों का मसौदा जारी, आमजन से 14 नवंबर तक मांगे सुझाव

Rajasthan is the second state in the country to release draft rules for battery storage of electricity, and seek suggestions from the public until November 14. - Jaipur News in Hindi

- गिरिराज अग्रवाल - जयपुर। बिजली स्टोर करने वाली बड़ी बैटरी व्यवस्था [बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली (BESS)] विनियम, 2025 बनाने वाला राजस्थान देश का दूसरा राज्य बन गया है। इससे पहले केवल आंध्र प्रदेश ही इस तरह के नियम बना पाया था। राजस्थान विद्युत विनियामक आयोग (RERC) ने इन प्रस्तावित नियमों (विनियम 2025) का मसौदा आम जनता के लिए जारी कर दिया है। इन नियमों को बिजली कानून, 2003 के तहत आयोग की शक्तियों का उपयोग करके तैयार किया गया है। राजस्थान के प्रमुख ऊर्जा सचिव अजिताभ शर्मा ने बताया कि इन नियमों को भारत सरकार के ऊर्जा भंडारण राष्ट्रीय ढाँचे (अगस्त 2023) और राजस्थान की स्वच्छ ऊर्जा नीति, 2024 के प्रावधानों को ध्यान में रखकर बनाया गया है। इसका मुख्य लक्ष्य राजस्थान में बिजली स्टोर करने की इन प्रणालियों की प्लानिंग, खरीद और इस्तेमाल के लिए एक साफ-सुथरा ढाँचा बनाना है। इससे सौर और पवन ऊर्जा को बिजली के सिस्टम (ग्रिड) में आसानी से जोड़ा जा सकेगा, बिजली सप्लाई में संतुलन बना रहेगा और पूरा सिस्टम लचीला होकर बेहतर काम करेगा।
यह प्रारूप राजस्थान विद्युत नियामक आयोग वेबसाइट www.rerc.rajasthan.gov.in पर भी उपलब्ध है। आम जन से अपील की गई है कि वे 14 नवंबर 2025 तक इस मसौदे पर अपने सुझाव और आपत्तियाँ 6 प्रतियों में नियामक आयोग को भिजवा सकते हैं।
जानिए, क्या हैं मुख्य-मुख्य प्रावधानः ये नियम किसी खास बैटरी तकनीक तक सीमित नहीं हैं। बल्कि सभी तरह की बिजली भंडारण प्रणालियों पर लागू होंगे। बिजली स्टोर करने की यह व्यवस्था बिजली बाँटने वाली कंपनियाँ (डिस्कॉम), बिजली पहुँचाने वाली कंपनियाँ, बिजली बनाने वाली कंपनियाँ, आम उपभोक्ता या कोई भी निजी निवेशक बना और चला सकता है।
बिजली कंपनियों के लिए नियम:
खरीद का तरीका: बिजली कंपनियाँ बैटरी से जुड़ी क्षमता और सेवाओं की सभी खरीद केवल सबसे सस्ती बोली (टैरिफ आधारित प्रतिस्पर्धी बोली) लगाकर ही करेंगी।
क्षमता: ग्रिड से जुड़ने वाली एक बैटरी प्रोजेक्ट का न्यूनतम आकार 1 मेगावाट या उससे ज़्यादा होना चाहिए, जो कम से कम दो घंटे तक बिजली दे सके। हालांकि, यह नियम छोटे उपभोक्ताओं या मोहल्ले के ट्रांसफार्मर स्तर पर लागू नहीं होगा।
मददगार सेवाएँ: ये बैटरी सिस्टम ग्रिड को संतुलन में रखने, वोल्टेज सपोर्ट देने, और ग्रिड फेल होने पर दोबारा चालू करने (ब्लैक स्टार्ट) जैसी जरूरी सेवाएँ देने के लिए पात्र होंग।
आरई का लाभ: बैटरी को चार्ज करने में इस्तेमाल होने वाली अक्षय ऊर्जा (जैसे: सौर) को अपनी हरी प्रकृति बनाए रखने की अनुमति होगी, जिससे बिजली कंपनियों को अक्षय ऊर्जा खरीदने की अनिवार्यता (RPO/RCO) का लाभ मिलेगा।

उपभोक्ताओं के लिए फायदे:
घर पर बैटरी: सभी उपभोक्ता अपनी तय बिजली की मांग (लोड) तक, सौर ऊर्जा संयंत्र के साथ या बिना, अपने मीटर के पीछे (यानी घर या फैक्ट्री में) बैटरी सिस्टम लगा सकते हैं।
बिजली का कारोबार: उपभोक्ताओं को सस्ते समय (ऑफ-पीक) में ग्रिड से बिजली खरीदकर स्टोर करने और महंगे समय (पीक) में इसे वापस ग्रिड को बेचकर फायदा कमाने की अनुमति होगी।
प्रोत्साहन: बिजली कंपनियाँ ऐसे उपभोक्ताओं को गैर-सौर पीक घंटों में ग्रिड में बिजली देने पर प्रोत्साहन वाली दरें (ज्यादा कीमत) भी दे सकती हैं।

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Web Title-Rajasthan is the second state in the country to release draft rules for battery storage of electricity, and seek suggestions from the public until November 14.
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