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जयपुर । भारत के पश्चिम में थार रेगिस्तान और अरावली पर्वत श्रृंखला के मध्य बसा राजस्थान, शौर्य और वैभव का पर्याय रहा है। ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण राजस्थान का गौरवशाली अतीत इसे अविस्मरणीय बनाता है। राजस्थान के चप्पे-चप्पे पर वीरता की कहानियां बिखरी हुई हैं। मीलों तक फैली सुनहरी रेत में निर्मित अनेक गाथाओं के साक्षी रहे अजेय दुर्ग, कलात्मक राजप्रासाद, अद्भुत हवेलियां अपनी अनूठी वास्तुशिल्प-शैली के कारण जग प्रसिद्ध हैं।
राजस्थान के जन्म के बारे में मान्यता है कि त्रोता युग में सीता हरण से क्षुब्ध भगवान राम ने सोने की लंका को ध्वस्त करने के लिए अपना धनुष-बाण उठा लिया। कमान पर चढ़े तीर की अचूक शक्ति से परिचित देवताओं ने सृष्टि के विनाश की आशंका से भगवान राम से तीर न चलाने का अनुरोध किया। कमान पर चढ़े तीर को वापस लाना संभव नहीं था । श्रीराम ने दूरस्थ सागर को लक्षित करके तीर छोड़ दिया। इस बाण की ऊष्मा से समुद्र गर्म, शुष्क और निर्जीव मरूभूमि में परिवर्तित हो गया। यही मरूस्थल थार रेगिस्तान के रूप में जाना गया।
मध्ययुगीन विदेशी आक्रांताओं और उनके विशाल सैन्य बल के कारण राजपूत शासकों ने अपने नए साम्राज्य के गठन के लिए थार की मरूभूमि को ही चुना। मरूस्थलीय जीवन की चुनौतियां राजपूती स्वभाव को रास आ गई। तत्कालीन राजपूताना राज्य की नींव यहीं से पड़ी। राजपूत शासक धर्मनिष्ठ थे। जहां एक ओर उन्होंने किलों, महलों, हवेलियों और विभिन्न स्मारकों का निर्माण करवाया, वहीं भव्य मंदिर, बावड़ियां और छतरियां भी बनवाई।
शताब्दियों पुराने अनेक सुंदर मंदिर राज्य भर में विद्यमान हैं जो विभिन्न मतावलम्बियों के प्रसिद्ध तीर्थस्थल बन गए हैं।
तत्कालीन शासकों ने कलाकारों तथा शिल्पकारों को भी भरपूर आश्रय दिया जिसके फलस्वरूप यह राज्य विश्व भर में हस्तशिल्प तथा कला की समृद्ध विरासत के केन्द्र के रूप में प्रख्यात है। अपने उत्कृष्ट लघुचित्रों तथा भित्ति चित्रों के लिए प्रसिद्ध राजस्थान में अनेक मनोहारी हस्तशिल्प की वस्तुएं, आकर्षक आभूषण तथा चित्ताकर्षक राजस्थानी कपड़े पर्यटकों को लुभाते रहे हैं। राजस्थानी संस्कृति का अभिन्न अंग रहे विभिन्न उत्सवों, लोकगाथाओं, लोकनृत्य तथा लोक संगीत से जीवंत हो उठी यह मरूभूमि अपनी विशिष्ट मध्ययुगीन पारंपरिक धरोहर को संजोकर रख पाने में सफल रही है। आधुनिकता और परंपरा का अनूठा संगम यहां देखने को मिलता है।
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