सैयद हबीब
जयपुर। राजस्थान की उच्च शिक्षा प्रणाली को लेकर गंभीर सवाल उठने लगे हैं, क्योंकि इस वर्ष की एनआईआरएफ (National Institutional Ranking Framework) इंडिया रैंकिंग्स में राज्य का कोई भी विश्वविद्यालय शीर्ष 50 संस्थानों में स्थान नहीं बना पाया है। यह स्थिति राज्य की शिक्षा व्यवस्था की खामियों को उजागर करती है और सुधार की आवश्यकता पर बल देती है। जबकि राजस्थान में 53 प्राइवेट यूनिवर्सिटी भी खुल चुकी है । यह भी कोई स्थान नहीं बना सकी है । जबकि कई प्राइवेट यूनिवर्सिटी फर्जी डिग्री बांटने के आरोप में जांच के घेरे में है । ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
NIRF रैंकिंग में राजस्थान की स्थिति: एक चिंताजनक परिदृश्य
NIRF रैंकिंग्स, जो भारत के उच्च शिक्षण संस्थानों की गुणवत्ता का मापदंड है, में राजस्थान की प्रदर्शन स्थिति चिंताजनक है। इस वर्ष राज्य के केवल दो विश्वविद्यालय ही शीर्ष 100 की सूची में स्थान प्राप्त कर पाए हैं।
उदयपुर की महाराणा प्रताप कृषि एवं तकनीकी विश्वविद्यालय को स्टेट पब्लिक यूनिवर्सिटीज कैटेगरी में स्थान मिला है, लेकिन इससे राज्य के शैक्षणिक परिदृश्य में कोई उल्लेखनीय सुधार नहीं हुआ है। भले ही विश्वविद्यालय ने नैक (NAAC) रैंकिंग में अच्छे अंक प्राप्त किए हों, लेकिन इसका प्रभाव छात्रों और शिक्षकों की गुणवत्ता पर नहीं दिख रहा है।
प्रमुख संस्थानों का हाल
राजस्थान विश्वविद्यालय, जो राज्य का प्रमुख विश्वविद्यालय है, वह भी इस सूची के शीर्ष 50 में जगह नहीं बना पाया है। इसके अलावा, राज्य के अन्य प्रमुख विश्वविद्यालय भी इस रैंकिंग में पीछे छूट गए हैं।
हालांकि, पिलानी और वनस्थली जैसे निजी संस्थान अपनी-अपनी कैटेगरी में शीर्ष 50 में शामिल हैं, लेकिन उनका अपना एक अलग वजूद पहले से ही स्थापित है। यह उन संस्थानों की उपलब्धियों को दर्शाता है, लेकिन राज्य के समग्र शैक्षिक परिदृश्य के लिए यह स्थिति संतोषजनक नहीं है।
सुधार की जरूरत
राजस्थान की उच्च शिक्षा प्रणाली को गंभीरता से पुनः समीक्षा करने की आवश्यकता है। शिक्षा के क्षेत्र में सुधार के लिए विश्वविद्यालयों को बुनियादी ढांचे में सुधार, शिक्षण की गुणवत्ता में वृद्धि, और अनुसंधान को बढ़ावा देने जैसे महत्वपूर्ण कदम उठाने होंगे। यह आवश्यक है कि सरकार और शैक्षणिक संस्थान इस दिशा में ठोस योजनाएं बनाएं और उन्हें लागू करें, ताकि राजस्थान के विश्वविद्यालय भी राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना सकें।
NIRF रैंकिंग में इस तरह की स्थिति न केवल राज्य के लिए, बल्कि यहां के छात्रों के भविष्य के लिए भी एक बड़ी चुनौती है। अगर समय रहते शिक्षा प्रणाली में सुधार नहीं किया गया, तो यह स्थिति आने वाले वर्षों में और भी अधिक गंभीर हो सकती है।
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