जयपुर। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने कहा कि बिगड़ता लिंगानुपात देशव्यापी समस्या है। गर्भ में सोनोग्राफी के माध्यम से बेटी का पता लगाकर उसकी हत्या करने की विकृत मानसकिता को जड़ से मिटाने के लिये पीसीपीएनडीटी एक्ट के प्रभावी क्रियान्वयन के साथ ही आमजन सोच को बदलने के लिये जन-जागृति बेहद आवश्यक है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
डॉ. शर्मा सोमवार को पड़ौसी राज्यों के साथ समन्वय स्थापित करते हुए पीसीपीएनडीटी एक्ट के प्रभावी क्रियान्वयन विषय पर यहां स्थानीय होटल रॉयल आर्चिड में आयोजित इंटरस्टेट कार्यशाला को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे। इस कार्यशाला में गुजरात, पंजाब, हरियाणा, उत्तरप्रदेश एवं मध्यप्रदेश राज्यों के पीसीपीएनडीटी प्रभारियों के साथ संयुक्त निदेशक, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी एवं पीसीपीएनडीटी समन्वयकों ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर चिकित्सा मंत्री एवं चिकित्सा राज्य मंत्री डॉ. सुभाष गर्ग ने पीसीपीएनडीटी ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टीगेशन के लोगो का भी विमोचन किया।
डॉ. शर्मा ने कहा कि लड़कियों के अनुपात में आ रही कमी का मुख्य कारण समाज की लड़कियों के प्रति संकीर्ण मानसिकता है। उन्होंने चिंता व्यक्त कि आज सोनोग्राफी मशीन से भ्रूण के लिंग का पता करवाकर कन्या भ्रूण की गर्भ में हत्या करने का जघन्य पाप किया जाता है। इसके गंभीर परिणाम सामने आ रहे हैं। समाज में बेटियों को जन्म लेने के रोकने की मानसिकता के कारणों पर विस्तार से चर्चा कर उन्हें दूर करना भी आवश्यक है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में भ्रूण लिंग परीक्षण को रोकने के लिये पीसीपीएनडीटी एक्ट की प्रभावी क्रियान्वयन किया जा रहा है। पीसीपीएनडीटी टीम द्वारा अब तक 45 इंटरस्टेट सहित कुल 154 डिकॉय ऑपरेशन किये जा चुके हैं। उन्होंने पड़ौसी राज्यों के प्रतिनिधियों से भ्रूण लिंग परीक्षण को रोकने के लिये सामूहिक रूप से प्रयास करने की आवश्यकता पर बल दिया।
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