जयपुर। आमेर महल और अल्बर्ट हॉल में पूर्णिमा के अवसर पर कथक नृत्य की भावपूर्ण प्रस्तुतियां दी गई। नाइट टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए राजस्थान सरकार के पुरातत्त्व एवं संग्रहालय विभाग और जयपुर कथक केंद्र द्वारा प्रत्येक पूर्णिमा को कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे है। इनमें बड़ी संख्या में पर्यटकों ने कथक नृत्यों का आनंद लिया। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
कथक के जरिए पुलवामा हमले के शहीदों को श्रृद्धांजलि
आमेर महल में जयपुर कथक केन्द्र की आचार्या डॉ. रेखा ठाकर के निर्देशन में आयोजित कथक नृत्य के जरिए पुलवामा हमले के शहीदों को श्रृद्धांजलि अर्पित की गई। शहीदों को समर्पित स्तुति ‘है नमन उनको‘ के साथ कार्यक्रम की शुरूआत हुई। इसके पश्चात पारम्परिक ताल धमार में बंदिशें प्रस्तुत की गई। अंत में माखनलाल चतुर्वेदी की कविता ‘पुष्प की अभिलाषा‘ की रचना ‘मुझे तोड़ लेना वनमाली‘ के जरिए बसंत ऋतु के सौंदर्य को साकार किया गया। कार्यक्रम में प्रस्तुतकर्ताओं में रेखा सेन, डॉ. साक्षी सिंह, देवांशी दवे, शगुन शर्मा एवं रविन्द्र राठौड़ शामिल थे। इस अवसर पर पखावज पर पं. डॉ. प्रवीण आर्य, गायन एवं हारमोयिम पर पं. मुन्नालाल भाट, तबले पर मुजफ्फर रहमान और सितार पर पं. हरिहरशरण भट्ट ने संगत दी।
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