जयपुर। जयपुर ग्रामीण सांसद कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने कहा कि अखबारों में पढता हूँ तो सबसे पहले पन्ने पर अशोक गहलोत एक राहत कैंप की घोषणा करते नजर आते हैं। लेकिन, अगले ही पन्ने पर उन्हीं ही की ही पार्टी का एक बड़ा नेता अनशन करके राहत मांगता हुआ नजर आता है। मुझे लगता है जो पार्टी अपने ही नेताओ को राहत नहीं दे पा रही है, वह जनता को राहत देने के बारे में कैसे सोचेगी? ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
वे यहां पार्टी मुख्यालय में मीडिया से बात कर रहे थे।
पिछले 4 सालों से कांग्रेस में अंतरकलह चल रहा था। राजस्थान में सत्ता को कब्जे में लेने के लिए भागदौड़ का खेल चल रहा था। अब मोल भाव का समय खत्म हो चुका है। ऐसे में सचिन पायलट और अशोक गहलोत में कुर्सी के लिए आर-पार की लड़ाई शुरू हो चुकी है। इनका इतिहास रहा है आपसी लड़ाई का। दूसरों को आपस में लड़वाकर, एक को दूसरे के पीछे लगाकर ही गांधी परिवार ने दशकों तक सत्ता पर कब्जा बनाए रखा। ये जो सज्जन हैं प्रदेश अध्यक्ष रहे तो सब अच्छा था। कुर्सी की आस थी तब सब अच्छा था। कुर्सी की लड़ाई में बाजी कोई और मार गया तो अब गड़बड़ी दिख रही है। खुद पर दाग लगे हैं, इनकी सरकार तो भ्रष्टाचार और अराजकता के दाग से पूरी की पूरी काली हो गई है। खुद सरकार का हिस्सा रहे। लेकिन तब इन्हें शायद अपनी सरकार के भ्रष्टाचार का खेल अच्छा लगता था।
कांग्रेस का काला इतिहास रहा है अपने भ्रष्टाचार और विफलताओं को छिपाने के लिए ध्यान भटकाने का। मैनिपुलेटेड आरोप लगाना हास्यास्पद है। वे लोग भ्रष्टाचार की बात कर रहे हैं, जो गांधी परिवार को खुश करने के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं। वो गांधी परिवार जिस पर सिर से पाँव तक भ्रष्टाचार के दाग हैं। ये वही कांग्रेस है जो भ्रष्टाचार को सदाचार और जन्मसिद्ध अधिकार मानते रहे हैं। ध्यान दीजिये ऐसा पहली बार नही हो रहा है, ये उन सभी राज्यों में हुआ है जहाँ जहाँ कांग्रेस को चुनाव जीतने के लिए कोई मुद्दा नहीं मिलता। तब वो जनता का ध्यान मुद्दों से हटवा कर अपने नेताओं को जनता की सहानुभूति खींचने का आदेश दे देती है।
राज्यवर्धन राठौर ने सचिन पायलट के अनशन को सत्ता प्राप्ति के विलाप और निजी स्वार्थो से परिपूर्ण बताते हुए कहा कि कहा कि सचिन पायलट को अनशन ही करना है तो जरूर करें। लेकिन कम से कम 1 घंटे का अनशन इन बातों के लिए भी जरूर किया जाना चाहिए। राजस्थान में 26 लाख विद्यार्थियों का रीट परीक्षा पेपर लीक हुआ, तब प्रदेश के भविष्य के अनशन किया जाना चाहिए था। कांग्रेस किसानों को संपूर्ण कर्ज माफी ना दे सकी इसके लिए अनशन किया जाना चाहिए था।
प्रदेश आज महिला अपराध का गढ़ बन चुका है प्रतिदिन 17 बलात्कार हो रहे हैं 109 महिला उत्पीड़न के मामले दर्ज हो रहे हैं एनसीआरबी के आंकड़ों में राजस्थान अपराध में शीर्ष पर है। तब कानून व्यवस्था के लिये अनशन किया जाना चाहिए था।
70 लाख नौकरियों के वादे के साथ सत्ता में आई सरकार ने एक लाख नौकरियां भी सही से नहीं दी ऐसे में प्रदेश में रोजगार मिले इसके लिए अनशन जरूर होना चाहिए था। हिंदुओं पर होती मनमानियों के खिलाफ, सम्प्रदायिक दंगों के खिलाफ अनशन होना चाहिए था। जब प्रदेश मे ये सब हो रहा था, आप राज्य सरकार के दूसरे सबसे बड़े नेता हैं लेकिन तब कुछ नही बोले क्यो? कुर्सी की सौदेबाजी करनी थी इसलिए एक को दिल्ली पहुंचना था और दूसरे को राजस्थान पर कब्जा करना था, इसलिए।
कर्नल राज्यवर्धन राठौर ने कहा कि इनसे कोई पूछे कि भाजपा सरकार पर मनगढ़ंत आरोप लगाने से इन लोगों के पाप कैसे धुलेंगे? असल बात यह है कि शीर्ष नेतृत्व से लेकर हर प्रदेश में, हर स्तर पर भ्रष्टाचार किया है इन्होंने। इसीलिए पूरी कांग्रेस डरी हुई है। इनका असल डर यह है कि इनका कुशासन और भ्रष्टाचार इतना बढ़ चुका है कि जनता इन्हें सत्ता से बेदखल करने वाली है। भाजपा सरकारों का भ्रष्टाचार पर वार तो पूरा देश देख रहा है। इसीलिए आजकल राहुल गांधी, सोनिया जी, और पूरी कांग्रेस काल्पनिक मुद्दे लेकर आकर आ रही है। दूसरे की सफेद कमीज पर कीचड़ फेंककर अपने दाग छिपाने की नाकाम कोशिश कर रही है। आज नहीं तो कल सारे भ्रष्टाचारी कानून के फंदे में फंसेंगे।
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