अगले दिन, सोमवार, 26 अगस्त को नाटक ‘द वाइट साड़ी‘ का मंचन होगा।
इस नाटक का कथानक, डिजाइन एवं निर्देशन दिल्ली के अमित तिवाड़ी द्वारा किया
है। ‘सफेद’ रंग सभी को दिव्यता का एहसास कराता है, लेकिन ‘सफेद’ की जगह
‘सफेद साड़ी’ हो तो? राधा-कृष्ण के मिलन की धरती वृन्दावन में स्थित विधवा
आश्रम पर केन्द्रित इस नाटक में जीवन में रंगों एवं प्रेम के महत्व को
दर्शाया जायेगा।
उत्सव के तीसरे दिन, मंगलवार, 27 अगस्त को देहरादून
के बृजेश नारायण द्वारा निर्देशित नाटक ‘बाकी इतिहास‘ की प्रस्तुति होगी।
बादल सरकार द्वारा लिखित यह प्रसिद्ध नाटक नेमीचंद जैन के हिन्दी अनुवाद पर
आधारित है। नाटक के जरिए लड़कियों के शारीरिक शोषण को गंभीरता से रेखांकित
किया गया है।
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