जयपुर। उद्योग मंत्री परसादी लाल मीणा ने सोमवार को विधानसभा में आश्वस्त किया कि विधानसभा क्षेत्र थानागाजी क्षेत्र के कस्बा राजगढ़ के फैक्ट्री एरिया में प्रदूषण रोकने की कार्रवाई की जाएगी। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
मीणा प्रश्नकाल में विधायकों की ओर से इस संबंध में पूछे गए पूरक प्रश्नों का जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा है कि क्षेत्र में जो फैक्ट्री मालिक नियमों को नहीं मानता है उन्हें विभाग द्वारा समय-समय पर नोटिस दिया जाता है। सभी फैक्ट्री मालिकों को निर्देशित किया जाता है कि वे अपने स्तर पर भी प्रदूषण रोकने के लिए अपने संसाधनों को ठीक करने के साथ सभी आवश्यक प्रयास करें। उन्होंने बताया कि शिकायत मिलने पर माह दिसंबर व जनवरी में भी फैक्ट्री मालिकों को नोटिस दिए गए। उन्होंने यह भी आश्वस्त किया कि इस संबंध में समिति बनाकर जांच की जाएगी।
इससे पहले उद्योग मंत्री ने विधायक कांति लाल मीणा के मूल प्रश्न के जवाब में बताया कि विधानसभा क्षेत्र थानागाजी में कस्बा राजगढ़ के रीको औद्योगिक क्षेत्र में डोलोमाईट पत्थर पीसने के लिये उद्योग स्थापित है। इस क्षेत्र में राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मण्डल द्वारा इस प्रकार के 75 उद्योगों को चिन्हित किया गया है। इनमें से 66 उद्योग कार्यरत है एवं 9 उद्योग बन्द है। इन उद्योगों में डोलोमाईट पीसने से होने वाले वायु प्रदूषण की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि इन उद्योगों द्वारा वायु प्रदूषण नियंत्रण हेतु पर्याप्त व्यवस्था (साईक्लोन, बैग फिल्टर इत्यादि) की स्थापना कर राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मण्डल से वायु (प्रदूषण नियंत्रण एवं निवारण) अधिनियम 1981 अन्तर्गत संचालन सम्मति प्राप्त किया जाना होता है। कार्यरत 66 उद्योगों में से 58 उद्योग राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मण्डल से वायु अधिनियम के अन्तर्गत वैध सम्मति प्राप्त कर संचालित है जबकि 8 उद्योगों के सम्मति आवेदन पत्र विचाराधीन है। राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मण्डल द्वारा समय-समय पर उद्योगों का निरीक्षण किया जाता है एवं प्रदूषण नियंत्रण व्यवस्था अपर्याप्त पाये जाने पर वायु (प्रदूषण नियंत्रण एवं निवारण) अधिनियम 1981 अन्तर्गत कार्रवाई की जाती है।
उद्योग मंत्री ने बताया कि विधानसभा क्षेत्र थानागाजी के कस्बा राजगढ़ में स्थित फैक्ट्रियों से निकलने वाला पाउडर हवा के साथ चारों तरफ फैलता है जिसकी वजह से फैक्ट्रियों के आस पास स्थित फलदार बगीचों, पेड़ो एवं कृषि फसलों की पत्तियों पर पाउडर की हल्की परत जम जाती है। जिससे पौधों में प्रकाश संश्लेषण (भौतिक प्रक्रिया) की सघनता कुछ सीमा तक प्रभावित हो सकती है। इस वजह से कुछ सीमा तक फसलोत्पादन प्रभावित हो सकता है, हालांकि इस संदर्भ में किसानों के यहां से कोई शिकायत नहीं मिली कि उनकी फसल अथवा वनस्पति नष्ट हो रही है। स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य पर प्रदूषण के कारण ओपीडी आईपीडी संख्या में बढ़ोतरी नहीं हो रही है।
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